Book Title: Jain Vivah Vidhi aur Vir Nirvanotsav Bahi Muhurt Paddhati
Author(s): Nathulal Jain
Publisher: Dhannalalji Ratanlal Kala
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(३) कुंकुम, पिसीहल्दी, में हदी, लच्छा, नागरवेलपान, सुपारी
३ तोला - ४ तो. - २ हल्दीपांठ, सरसों, दीपक, छोटे, रुई, माचिस, घी, चाटू
४ - ४ २ तो. १ ७१ लकडी का, लालचन्दन की व सफेदचन्दन की समिघा
१ । । (लकडी) बड़-पीपल-प्राम-ढाक की सूखी समिधा, देशी
. कपूर, पूजन द्रव्य [चांवल,गिरी (चटके) केशर,बादाम, लोंग,] १ तो.
॥
) - २ तो. पूजन उपकरण, हवनद्रव्य (बादामगुली, खोपरा, पिस्ता
s- २ तो. लोंग, इलायची, खारक, शक्करकाबूरा) शुद्धदशांग २तो. १ तो.
5धूप, थाली, कटोरी, शुद्धगादी या गलीचा, पाटे, चौकी 5- ४ २ . प्रासन, चांदी की चुअत्री, रुपयानगदी, कागजकीमाला
पंचरत्नापुड़ी।
मोर:-विनायक यन्त्र मंदिर से प्रतिष्ठित लाने और ले जाने में घर पर छु अाछूत श्रादि से अविनय होता है अतः रकाबी में बना लेना चाहिये। अष्ट मंगल द्रव्य मंदिर से चाँदी पर खुदे हुए मिलते है। पक्की नम्बरी ईटें, कच्ची
अशुद्ध ईटेंसे ठीक होती हैं और उनसे एक हाथ लम्बा चौड़ा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com