Book Title: Jain Vivah Vidhi aur Vir Nirvanotsav Bahi Muhurt Paddhati
Author(s): Nathulal Jain
Publisher: Dhannalalji Ratanlal Kala
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(३७) उक्ल सात फेरे या मांवर सात परम स्थानों की प्राप्ति के द्योतक हैं । भागमानुसार संसार में (१) सज्जातित्व (२) सद् गृहस्थत्व (३) साधुत्व (४) इन्द्रत्व (५) चक्रवर्तित्व (६) तीर्थकरत्व और (७) निर्वाण ये सात परमस्थान माने गये है।
सात फेरे होने पर नवदम्पति पर निम्नप्रकार मन्त्र द्वारा पुष्प क्षेपण करे।
“ओं हां ही इ. होहः असि आ उ सा अहत्सिद्धाचार्योपाध्यायसाधवः शांति पुष्टिं च कुरुत कुरुत स्वाहा"।
यहांपर संक्षेप में गृहस्थ जीवन के महत्व पर उपदेश देकर अच्छी संस्थाओं को यथाशक्ति दोनों पक्ष की ओर से दान की घोषणा कराकर तत्काल यथास्थान मिजवाने का प्रबन्ध करा देना चाहिए । - इसके बाद कन्यापक्ष की ओर से वर को तिलकपूर्वक १) एक रुपया और श्रीफल भेंटकर हथलेवा छुड़ा देना चाहिए और नवदम्पति खडे होकर मंगलकलश को हाथ में खेल। गृहस्थाचार्य पुण्याहवाचन पाठ पढे । और सर्वशांतिर्भवतु वाज्य के आने पर नीचे एक पात्र में जलधारा स्वयं छोडता जाय और नवदम्पति से धारा छुडाता जाय ।
पुण्याहवाचन । ओम् पुण्याहं पुण्याहं । लोकोद्योतनकरातीतकाल संजातनिर्वाणसागरमहासाधुविमलप्रभशुद्धप्रमश्रीधरसुदचामलप्रमोदरामिसंयमशिवकमुखांजलिशिवमणोत्साहज्ञानेश्वरपरमेश्वरविमलेश्वरयशोधरकृष्णमतिज्ञानमतिशुदमतिबीमद्र
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