Book Title: Jain Vivah Vidhi aur Vir Nirvanotsav Bahi Muhurt Paddhati
Author(s): Nathulal Jain
Publisher: Dhannalalji Ratanlal Kala
View full book text
________________
श्री वीर निर्वाणोत्सव
नई बही मुहूर्त विधि।
जिससमय अधर्म बदरहा था, धर्मके नामपर असंख्य पशुओं को यज्ञकी बलिवेदीपर होमा जाता था,संसारमें अज्ञान छारहा था और जब संसारके लोग आत्मा के उद्धार करनेवाले सत्य मार्ग को भूल रहे थे, ऐसे भयंकर समय में जगत के प्रालियों को सत्यमार्ग दर्शने, दुःख पीडित विश्व को सहानुभूति का अंतिम दान देने और सार्वभौमिक तथा स्वाभाविक परमधर्म का सत्य सन्देश सुनानेके लिये इस पुनीत भारत वसुन्धरा पर आज से २५४९ वर्ष पहिले कुन्डलपुर में भगवान महावीर ने जन्म घारण किया था तेईसचे तीर्थकर श्री पार्श्वनाथजी के २५६ वर्ष ३॥ माह वाद भगवान महावीर का जन्म हुआ था।
अपने दिव्य जीवन में उन्होंने अहिंसा, विश्वमैत्री और आत्मोद्धार का उत्कृष्ट शादर्श उपस्थित किया था और मम्त में अपने चरम लक्ष्य को स्वयं दृढ निकाला था । भगवान महाबीर ने ब्रह्मचर्य के आदर्श को उपस्थित करने के लिये
आजन्म ब्रह्मचारी रहते हुए दुर्घर तप धारण कर ४२ वर्ष की उम्र में ही आत्मा के प्रबल शत्रु चार घातिया कर्मों का नाश कर लोकालोक प्रकाशक केवलज्ञान प्राप्त कर लिया और Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com