Book Title: Jain Vivah Vidhi aur Vir Nirvanotsav Bahi Muhurt Paddhati
Author(s): Nathulal Jain
Publisher: Dhannalalji Ratanlal Kala

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Page 39
________________ (२६) आइति मन्त्र पीठिका मन्त्र ओं सत्यजाताय नमः स्वाहा ॥१ || ओं अहज्जाताय नमः स्वाहा ॥२॥ ओं परमजाताय नमः स्वाहा ॥ ३ ॥ ओं ओं अनुपमजाताय नमः स्वाहा ॥४॥ भों स्वप्रधानाय नमः स्वाहा । || ओं अचलाय नमः स्वाहा ॥६|| ओं अक्षताय नमः स्वाहा ॥७॥ ओं अव्यावाघाय नमः स्वाहा ॥८॥ ओं अमन्तज्ञामाय नमः स्वाहा ॥ ९॥ ओं अनन्तदर्शनाय नमः स्वाहा ॥१०॥ओं अनन्तवीर्याय नमः स्वाहा ॥११॥ ओं अनन्तसुखाय नमः स्वाहा ॥ १२ ॥ ओं नीरजसे नमः स्वाहा ॥१३॥ ओं निर्मलाय नमः स्वाहा ॥१४॥ ओं अच्छेद्याय नमः स्वाहा ॥१५॥ ओं अभेद्याय नमः स्वाहा ॥१६॥ ओं अजराय नमः स्वाहा ।।१७) आ अपराय नमः स्वाहा ॥१८॥ओं अप्रमेयाय नमः स्वाहा ॥ १९ ।। ओं अमर्भवासाय नमः स्वाहा ॥२०॥ ओंअक्षोभाय नमः स्वाहा ॥२१॥ ओं अक्लिीमाय नमः स्वाहा ॥२२॥ ओं परमधनाय नमः स्वाहा ॥२३ ॥ ओं परमकाष्ठायोगरूपाय नमः स्वाहा ॥२४॥ ओं लोकाग्रवासिने नमो नमः स्वाहा ॥ २५ ॥ ओं परम सिद्धभ्यो नमोनमः स्वाहा ॥२६॥ ओं अर्हसिद्धभ्यो नमोनमः स्वाहा ॥२७॥ यो वैजलसिद्धेभ्यो नमोनमः स्वाहा ॥२८॥ ओं अन्तःकृत् सिद्धेभ्यो नमोनमः स्वाहा ॥२६॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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