Book Title: Jain Vivah Vidhi aur Vir Nirvanotsav Bahi Muhurt Paddhati
Author(s): Nathulal Jain
Publisher: Dhannalalji Ratanlal Kala

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Page 19
________________ बड़ा बाना बैठाना विवाह के कम से कम दो दिन पूर्व दूसरी बार मंदिर मैं जाकर वर और कन्या पूजन करें और घर जाकर पूर्ववत् कंकणबन्धन करावे। मंडप निर्माण विवाह के सात या पांच दिन पूर्व छोटा बाना के समय विवाह मण्डप के लिए मण्ड प की आवश्यक्ता हो तो स्तंभा-- रोपण विधि की जाती है। यह स्तंभ ज्योतिषी से पूछकर चार विदिशा में से किसी एक विदिशा में कन्या के यहां, कन्या के पिता या जो विवाह हाथ में लेता है उसके द्वारा और वर के यहां वर के पिता या. जो विवाह हाथ में ले उसके द्वारा और घर के यहां वर के पिता या जो विवाहहाथमें ले उसके हाथ से शुभमुहूर्त में होता है । कहीं २ स्तंभारोपण कन्या और वर के हाथ से भी करा लिया जाता है। जहां जैसा हो वहां बैसा करा लेवे । इसकी विधि में गृहस्थाचार्य स्तंभारोपण के लिए गड्डा खुदाकर वर या कन्या के पिता माता आदि को जोडे सहित पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करके बैठाकर मंगलाष्टक, मंगल कलश,संकल्प, यन्त्र पूजा पूर्वक स्तंभ का आरोपण करावे । संभ के ऊपर के हिस्से में लाल चोल में श्रीफल; सुपारी, हल्दी गांठ यां दी की चुअन्नी, सरसों, पान, अामके पत्ते, अमरवेल आदि बच्छे से बांध दे और पड़े के पास स्तम्भ खडाकर जल, दूध, दही, पारा, बुकुम आदि क्षेपकर स्तंभ में स्वस्तिक कर गई में समका पारोपण करें। फिर शांति पाठ एवं विसर्जन पाठ करें। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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