Book Title: Jain Vivah Vidhi aur Vir Nirvanotsav Bahi Muhurt Paddhati
Author(s): Nathulal Jain
Publisher: Dhannalalji Ratanlal Kala
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( ५ )
वाग्दान
( सगाई) में मंत्रों के समक्ष वर पक्ष और कन्या पक्ष अपने वंशएवं गोत्रादि का परिचय देकर संवन्ध निश्चित करते हैं जिसकी लिखा पढी गोठ के मंदिर में हो जाती है। पारवाढ आदि जातियों में इस समय विनायक यंत्र की पूजन भी की जाजी है । सगाई के समय वर पक्ष की ओर से जो सोना या अन्य रकम का गुप्त रूप से सौदा होने लगा है उसे बंद कर दोनों पक्ष के प्रेम को बढ़ाने का खयाल रखने में ही सबका हित है । बागड़ प्रांत में अभी भी कन्या बिऋय जारो है उसे मी बंद कर देना उचित है ।
छोटा बाना (विनायक) बैठाना
विवाह के कम से कम पांच दिन पूर्व कन्या और बर अपने अपने यहां के श्री जिनमंदिर में जाकर शुभ मुहूर्त में पंच परमेष्ठी याने विनायक यंत्र की पूजा करें। वहां से घर आकर गृहस्थाचार्य से कंकण बन्धन करावें । कंकण बन्धन कन्या के बांये हाथ में और वर के दाहिने हाथ में किया जाय, विनायक पूजा आगे दी गई है । यदि विनायक यंत्र की प्रतिदिन पूजा कर सकते हों तो इसी दिन घर पर लाकरे एकांत स्थान में विराजमान कर देना चाहिये और विवाह होने के समय तक रखना चाहिए ।
कंकण वन्धन मंत्र |
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जिनेन्द्रगुरु पूजनम् श्रुतवचः सदा धारणम् । स्वशीलय मरक्षगं, ददत् सतपोवृंहणम् || इति प्रथितषक्रिया, निरतिचारमास्तां तव । इति प्रथित कर्मणे विहित रचिकाबन्धनम् ॥
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