Book Title: Ekarthak kosha
Author(s): Mahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
२७०
स्नेह
स्पृशति
स्पृष्ट
स्पर्शना
स्फटिक
स्फटित
स्फाटयति
स्मय
हंतव्व
हंता
इंदोलक
हक्कार
:
स्वभाव
स्वभाव
स्वभाव
स्वर्
स्वरूप
स्वर्ग
स्वामिन्
स्वेच्छाकल्पित
हट्ठ
हट्ठ
(धत )
(प्रोसारेति )
( माण )
स्वप्रवचनप्रतिपन्न (र ( समाणधम्मिय )
चित्त
हण
हति
परिशिष्ट १
हणण
हज्ज
हत्थ कलावग
हत्थखड्डुग
हत्थभंडक
(लोभ)
( प्रत्येति )
( पृ १५६ )
Jain Education International
हत्थलहुत्तण
हत्थिक
हत्या
( पृ १५६ )
हनन
(आदर्श) हम्ममाण
(धर्म)
(निसर्ग)
(रोत)
( पृ १५६ )
( णिच्छय)
( स्वर् ) (पति)
( विकल्पित)
( पृ १५६ )
( पृ १५७ ) (अंदोलति )
( पृ १५७)
( पृ १५७ )
( मुदित)
[ ( पृ १५७)
(पहर)
(छिन्नंति)
(पद)
1
( आओसेज्ज)
(केज्जूर)
( पृ १५७ )
( पृ १५७ )
हय
हयतेय
हरति
हरण
हरण- विध्पणास
हरिएस
हरित
हरिस
हरिस
हर्ष
हल
हवइ
हसंति
हसित
हस्सतराय
हापयति
हायति
हार
हास
हाहाभूय
हिंदुय
हिंसति
हिंसविहिंसा
(तुट्ठि)
हरिसवसविसम्प्रमाणहियय ( हट्ठचित्त)
( पृ १५८ )
(लंगल)
(भवति)
हिंसा
हिंसा
स्नेह - हिंसा (अविण्णादाण )
( पृ १५७ )
( पृ १५७ )
(हत्या)
For Private & Personal Use Only
( आउडिज्जमाण)
( पृ १५७)
( पृ १५७ )
( पृ १५८ )
(हार)
(अविण्णादाण )
( चंडाल )
( कण्ह )
( णंदी)
( पृ १५८)
(फुल्ल)
( खडतराय)
( पृ १५८)
(उज्झीयति )
( पृ १५८ )
( मुदित)
( पृ १५८)
( जीवत्थकाय )
( आहणइ )
( पाणवह)
(आकुट्टि)
( घात)
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444