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परिशिष्ट २
जैसे --
सुरा - पिष्ट आदि द्रव्य से निष्पन्न मदिरा ।
मेरक-सुरा को पुनः सन्धान करके जो सुरा तैयार की जाती है । मादक रस- - इसके अन्तर्गत सभी मादक रस जाते हैं ।'
सुसील (सुशील)
देखें- 'सीलमंत' 'निस्सील' |
सेज्जा ( शय्या)
सेज्जा शब्द के पर्याय में नौ शब्दों का उल्लेख है । ये सभी शब्द बैठने अथवा सोने के भिन्न भिन्न आकार के आसनों के द्योतक हैं । लेकिन जातिगत समानता से इन्हें पर्यायवाची मान लिया है । इनमें कुछ.. शब्द विशिष्ट अर्थवत्ता के संवाहक हैं । जैसे-
१. शय्या - शरीर प्रमाण बिछोना ।
२. खट्वा - नीवार आदि से निर्मित पलंग ।
३. वृषी-तापसों का कुश आदि से बना आसन ।
४. आसंदी - कुर्सी ।
५. पेढिका काष्ठ निर्मित बैठने का बाजोट ।
६. महिशाखा - भूमी का वह साफ-सुथरा भाग जो बैठने के काम आता
है ।
७. सिला - शिला / पत्थर से निर्मित आसन ।
८. फलक — लेटने का पट्ट अथवा पीढा ।
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६. इट्टका - ईंट से निर्मित आसन ।
सेत (श्वेत)
देखें— 'सुद्ध' ।
स्वर् (स्वर्)
स्वर्ग के बोधक यहां छह शब्दों का उल्लेख है । इनमें कुछ शब्दों का आशय इस प्रकार है
जिसके सुखों का वर्णन किया जाता है वह स्वर्ग है । वह देवताओं का निवासस्थान होने से सुरसद्म तथा त्रिदशावास कहलाता हैं ।
१. दशहाटी प १८८
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