Book Title: Ekarthak kosha
Author(s): Mahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 443
________________ ( ३६६) पृ संख्या १५६ १६१ १६३ १६६ मूल एकार्थक हुतासिणासिहा परिशिष्ट १ अप्रसूता परिशिष्ट १ अविधिपरिहारि परिशिष्ट १ चितिकम्म णिम्मल परिशिष्ट १ १७३ १६२ १६८ २०५ २१० २३५ २४६ २४६ २५७ २६१ २६२ २६८ ३०० ३०२ अशुद्ध हुतासिणासिहा कोष्टक अट्ट्यते नववधू अधिसंधान संजमतवय खीणक्कोह वंदग निट्टियट्ठि दकादर भत्त्थ लप्पमाण अधम्मधिकाय सउज्जाय सद्धम सखेव सरगिरि उठ्ठाण उवसय शुद्ध हुतासिणसिहा कोष्ठक अट्यते नववधू अभिसंधान संजमतवड्ढय खीणकोह वंदणग निट्ठियट्ठ दकोदर भत्थ लुप्पमाण अधम्मत्थिकाय सउज्जोय सद्धर्म संखेव सुरगिरि उट्ठाण उवसग परिशिष्ट १ समास परिशिष्ट १ परिशिष्ट २ परिशिष्ट २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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