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या (दया)
संयम के अर्थ में प्रयुक्त दया के पर्याय में पांच शब्दों का उल्लेख है । दया, संयम आदि संयम के स्पष्ट वाचक हैं। दुगंछा का अर्थ हैपाप के प्रति घृणा तथा अछलना का अर्थ है-सरलता । इस प्रकार से दोनों शब्द भी संयम का अर्थबोध कराते हैं । तितिक्षा, अहिंसा और ही भी संयम के ही वाचक हैं |
देखें - ' तितिक्खा' ।
वी (दव)
दव का अर्थ है - कडछी । इसके पर्याय में चार शब्दों का उल्लेख है । इसमें 'कडच्छी' और 'कवल्ली' दोनों देशीपद हैं। आजकल व्यवहार में प्रयुक्त 'कडछी' शब्द इसी का रूपान्तरण प्रतीत होता है । 'कवल्ली' शब्द कडाही के लिए भी प्रसिद्ध है ।
दारिया (दारिका)
देखें- 'दारय' ।
परिशिष्ट २ 1 ३३१
दास (दास)
नौकरों के अनेक प्रकार रहे हैं। उनमें दास, किंकर आदि प्रमुख हैं । इन सबकी अलग- अलग पहचान है । जैसे
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१. दास - खरीदा हुआ नौकर, घर की दासी का पुत्र ।
२. प्रेष्य-काम के लिए बाहर गांव भेजा जाने वाला ।
३. भृतक — दैनिक वेतन पर कार्य करने वाला अथवा वह नौकर जो बचपन से ही घर पर पला- पुसा हो ।
४. भागी – आय और हानि का हिस्सेदार ।.
५. किंकर - जो काम के विषय में निरन्तर पूछता रहे 'अब क्या करूं ? अब क्या करूं ?'
६. कर्मकर -- नियत काल में आदेश पालन करने वाला ।'
इस आधार पर प्रस्तुत पर्याय में प्रयुक्त सभी शब्द दास / नौकर के पर्याय के रूप में संगृहीत हैं ।
१. सूटी २ प ३३१ ।
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