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परिशिष्ट २ । ३०
उप्पल (उत्पल)
"उत्पल' शब्द के पर्याय में जिन शब्दों का उल्लेख हुआ है वे द्रव्यास्तिक नय से सभी पर्यायवाची हैं, लेकिन पर्यायास्तिक नय की अपेक्षा से सभी शब्द कमल की भिन्न-भिन्न जाति और वर्ण के आधार पर व्यवहृत हैं। जैसे१. उत्पल-नीलकमल । २. पद्म-सूर्यविकासी रक्त कमल । ३. कुमुद-चन्द्रविकासी कमल । ४. नलिन-कुछ लाल कमल । ५. सुभग-कमल का प्रकार । ६. सौगंधिक-शरद् ऋतु में होने वाला सुगन्धि कमल । ७. पुण्डरीक-श्वेत कमल । ८. महापुण्डरीक-बड़ा श्वेत कमल । ६. शतपत्र-सौ पत्तों वाला कमल । १०. सहस्रपत्र-हजार पत्तों वाला कमल । ११. कोकनद-रक्त कमल । १२. अरविंद-पंखुडियो के द्वारा जाना जाने वाला। १३. तामरस-पानी में उत्पन्न होने वाला कोई फूल, कमल । १४. भिस-कमलनाल ।
१५. पुष्कल-श्रेष्ठ कमल । उप्पायण (उत्पादन)
भोजन के ४२ दोषों में उत्पादन के दस दोष हैं । भोजन की उत्पत्ति में जो दूषण होते हैं वे उत्पादन दोष कहलाते हैं । ये तीनों
शब्द इसी अर्थ के वाचक हैं। १. औपटी पृ १९४ : उप्पलादीनां चार्थभेदो वर्णादिभिः । २. देसी पृ ३५७ : 'तामरस' जलोद्भवं पुष्पम् । टिप्पण १ 'तामरस
शब्दः म्लेच्छभाषासंबन्धी, न तु आर्यभाषासंबन्धी-इत्येवं मीमांसासूत्रभाष्यकारो जैमिनिमुनिः प्राह स्वभाष्ये (अ १ पा ३ सू १० अधि ५) ।
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