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३२२ : परिशिष्ट २
पराक्रम-स्वाभिमान से युक्त सामथ्र्य । सामर्थ्य क्षमता। उत्साह-मानसिक संकल्प ।
पालि में विरियारम्भ, निक्कम, परक्कम, उय्याम, वायाम, उस्साह, उस्सोलही, थाम, घिति, असिथिलपरक्कमता, अनिक्खित्तछन्दता, अनिक्खित्त धुरता, धुरसम्पग्गाह, विरिय आदि शब्द एक ही अर्थ में
प्रयुक्त हैं। इसमें अनेक शब्द प्रस्तुत एकार्थक 'जोग' के संवादी हैं। मोस (दे)
झोस का अर्थ है-वह राशि जिससे समीकरण हो जाता है । इस प्रकार समीकरण के अर्थ में यह गणित का देशी पद है । डिव (डिम्ब)
___ "डिम्ब' आदि शब्द उपद्रव के अर्थ में एकार्थक हैं१. डिम्ब-विघ्न । २. डमर-राजकुमार आदि द्वारा उत्पन्न उपद्रव । ३. कलह-वाचिक लड़ाई। ४. बोल-जोर-जोर से बोलकर लड़ना। ५. क्षार-परस्पर ईर्ष्याभाव से कलह करना।
६. वैर-शत्रुता रखना। डिप्फर (दे)
'डिप्फर' आदि शब्द बैठने व सोने के लिए काम में आने वाले आसन विशेष के नाम हैं। यद्यपि इनमें आकार-प्रत्याकार की भिन्नता है, लेकिन आसन की समानता से इनको एकार्थक माना है। इनमें कुछ विशिष्ट शब्दों का अर्थ इस प्रकार है१. डिप्फर-बैठने के आसन के लिए प्रयुक्त देशी शब्द । २. पीढफलक-पलाल अथवा बेंत से निर्मित बैठने का आसन । --
२.धसं पृ७८।
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