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परिशिष्ट २ : २८१
२७. व्यापत्ति-गुणों का नाशक । २८. विराधना—सद्गुणों का नाशक । २६. प्रसंग-आसक्ति का उत्पादक ।
३०. कामगुण-कामदेव की प्रवृत्ति का बोधक ।' अन्भहियतर (अभ्यधिकतर)
____ इनमें प्रथम दो 'अभ्यधिकतर' और 'विपुलतर' ये वस्तु की लंबाई और गहराई की दृष्टि से पूरिपूर्णता/अत्यधिकता के द्योतक हैं । शेष दो शब्द 'विशुद्धतर' और 'वितिमिरतर' ये भाव विशुद्धि की दृष्टि से परिपूर्णता के द्योतक हैं। भिन्न-भिन्न अर्थ के वाचक होने पर भी ये
एकार्थक हैं । अरंजर (अलंजर)
अरंजर शब्द के पर्याय में १२ शब्दों का उल्लेख है। ये सभी विभिन्न आकृति वाले घड़ों की भिन्न-भिन्न जातियों के वाचक हैं । ये सभी मिट्टी से निर्मित होने के कारण, उपादान की समानता से एकार्थक माने गए हैं। कुछेक शब्दों की पहचान इस प्रकार हैकुंडग-कंड के आधार का घड़ा। घटक-छोटा घड़ा। कलश-बड़ा घड़ा। वारक-लघु कलश, सुराही । अरंजर-पानी भरने का बड़ा बर्तन ।
___ उपासक दशा ७/७ में करक, वारक, घट, अलिंजर आदि अनेक प्रकार के मिट्टी के बर्तनों का उल्लेख मिलता है। अरह (अर्हत्)
__ आगमों में अनेक स्थलों पर 'अरह' शब्द के साथ प्रसंगोपात्त उसके पर्याय शब्दों का उल्लेख मिलता है। पंच परमेष्ठी में अरिहन्तों का १. प्रटी प ४३.४४ । २. नंदीटी पृ ३६ : अथवैकाथिका एवैते शब्दाः नानादेशजानां विनेयानां कस्यचित् कश्चित् प्रसिद्धो भवतीत्युपन्यस्ताः ।
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