Book Title: Bhuvanbhanaviyam Mahakavyam
Author(s): Kalyanbodhivijay
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 131
________________ चतुर्थो भानुः | ज्ञानाचारः १०९ अत्यन्तदुष्करकठोरविचित्ररीतेः, અત્યંત દુષ્કર. કર્કશ અને વિચિત્ર શેલીના न्यायस्य शिक्षणविधौ च महोपकारः । न्यायना अध्ययनमा 'न्याय भूमिका' पुस्ता पडे न्यायैकभूमिवचसा भुवने कृतश्च, જગત પર મહાન ઉપકાર કરનારા ગુરુ ભુવનभावाद् भजे भुवनभानुगुरो ! भवन्तम्।।६।। लानु ! हुं आपने लावधी . IIII तारुण्यधामशिबिरेषु गभीरतत्त्व યુવાનોની શિબિરમાં ખૂબ ગંભીર તત્ત્વનું પ્રકૃષ્ટ ज्ञानं परं सरलसञ्चरतो ददौ च । ज्ञान पer dमो मूल सर माथी आपता. तत्त्वप्रदानविधयेऽतिवदान्यचित्त ! તત્ત્વપ્રદાનના વિધાન માટે મહાદાનેશ્વરી ગુરુ भावाद् भजे भुवनभानुगुरो ! भवन्तम्।।७॥ भुवनलानु ! हुँ मापने भावथी म छु. Ioll -सङ्घहितम्१. न्यायभूमिकाभिधस्वकृतशास्त्रवचसेत्यर्थः । ~~~~~~~~~~~~~~~~~ न्यायविशारदम ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ निराळो (५०) गुणसेन अग्निशर्मा (५१) सिंह अने आनन्द (५२) आत्माना सौन्दर्य अने सती दमयंती (५३) वार्ताविहार (५४) उच्च प्रकाशना पंथे (पञ्चसूत्र) (५५) चैत्यवन्दनसूत्रप्रकाश: (५६) दिव्यतत्त्वचिन्तन-१ (५७) दिव्यतत्त्वचिन्तन-२ (५८) आहारशुद्धिप्रकाश (५९) जैन धर्मनो सरळ परिचय-२ (६०) निश्चय-व्यवहार (६१) अरिहन्त परमात्मानी ओळखाण (६२) मार्गानुसारी जीवन याने जीवन उत्थान (६३) योगदृष्टिसमुच्चय पीठिका (६४) धर्म आराधनाना मूळ तत्त्वो (६५) जैन धर्मना कर्मसिद्धान्तनु विज्ञान (६६) तत्त्वार्थउषा (६७) प्रकरणदोहन (६८) तपधर्मना अजवाळा (६९) भावभर्या स्तवन सज्झाय (७०) सचित्र महावीर चरित्र (७१) अमृतक्रियाना दिव्यमार्गे (७२) सचित्र तत्त्वज्ञान बाळपोथी (७३) प्रेरणा (७४) पळमा पापने पेले पार (७५) नमस्कार महामन्त्रनो उपोद्घात (७६) उपधानतपमाहिती (७७) प्रीतनी रीत (७८) प्रभुनो पन्थ (७९) बार व्रत (८०) झणझणे तार दिलना (८१) कडवा फळ छे क्रोधना (८२) कुवलयमाला-१ (८३) कुवलयमाला-२ (८४) क्षमापना हिन्दी भाषालिखितग्रन्थाः (१) जैन धर्मका परिचय (२) प्रतिक्रमणसूत्र चित्र आल्बम (३) ललितविस्तरा विवेचन (४) ध्यानशतक (५) चैत्यवन्दनसूत्रप्रकाश (६) गणधरवाद (७) सती शिरोमणी मदनरेखा (८) अमीचन्द की अमीदृष्टि (९) जीवन सङ्ग्राम (१०) मानव जीवनमे ध्यानका महत्त्व (११) जैन धर्म वाटिका (१२) जीवनका आदर्श (१३) भव आलोचना (१४) अमृतकण (१५) प्रीतकी रीत (१६) भावभर्या स्तवन सज्झाय (१७) साधर्मिक वात्सल्य (१८) कदम आगे बढाये जा (१९) प्रेरणा (२०) आत्मसौन्दर्य (२१) सचित्र महावीर चरित्र (२२) सचित्र तत्त्वज्ञान बालपोथी (२३) मानव तुं मानव बन (२४) भेदी आकाशवाणी-१ (२५) भेदी आकाशवाणी-२ (२६) पलमें पाप से पार (२७) प्रेरणा आङ्ग्लभाषालिखितग्रन्थाः (1) A Handbook of Jainology (2) Gandharvad (3) A Key to happy life (4) A way to happiness एतस्मिन् शास्त्रसन्दोहे प्रतिपृष्ठमपि श्रीगुरूणामप्रतिमतर्कपरिकर्मितमतिता, विरागमहासागरकल्लोलरमणता, शास्त्रसापेक्षता च दृग्गोचरीभवन्ति । चिरकालं यावत्तल्लिखितमेतदमृतम विषयविषमूर्छितानां जनानां नवजीवनप्रदायि भविष्यति । द्विशताधिकश्रमणसर्जनम... मुमुक्षुप्रेरणाप्रदानम्... श्रमणशिक्षाप्रदानम... बहुसहस्रतरुणजीवनोत्थानम.... श्रीसङ्घानेककार्यनिष्ठत्वम्... गुरुजनाप्रतिमसेवनम्... एतादृगनेकानुष्ठानातिव्यस्तेनाऽप्यनेनाऽप्रमत्तयोगिना निखिलविश्वोपकारपरायणेन चिन्तन शताधिकशास्त्रसर्जनम्

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