Book Title: Aspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Author(s): M A Dhaky, Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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कृतित्व
ग्रन्थ
१. जैन दार्शनिक साहित्य के विकास की रूपरेखा-जैन संस्कृति संशोधक मंडल पत्रिका-१
प्रथम आ० १९४६, द्वि० आ० १९५२. २. भगवान महावीर, प्रकाशक जैन वही, पत्रिका-८, १९४७. ३. आगम युग का अनेकान्तवाद, प्रकाशक वही, पत्रिका १३, १९४७. ४. जैन आगम, प्रकाशक वही, पत्रिका १२, १९४७. ५. जैन दार्शनिक साहित्य का सिंहावलोकन, प्रकाशन वही, पत्रिका १९४९. ६. आत्म-मीमांसा, प्रकाशक वही, १९५३. ७. निशीथ-एक अध्ययन, प्रकाशक सन्मति ज्ञानपीठ आगरा. ८. हिन्दू धर्म, प्रकाशक परिचय ट्रस्ट, १९३४. ९. जैन धर्म चिन्तन-जगमोहन कोरा स्मारक पुस्तकमाला, अशोक कुमार कान्तिलाल
कोरा, बम्बई १९३५. १०. आगम युग का जैनदर्शन-सन्मति ज्ञानपीठ आगरा १९३३. ११. प्रभु श्री महावीर स्वामी के जीवन संदेश, सौराष्ट्र यूनिव० राजकोट, १९७२. १२. प्रज्ञाचक्षु पं० सुखलाल जी, गुजराती ग्रन्थकार श्रेणी-7, १९७७.
__ अनुवादित ग्रन्थ १३. जैनदर्शन का आदिकाल, (लाद० भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर अहमदाबाद १९८०. १४. जैनागम और पालि पिटक. भाण्डारकर ओरिएण्टल इन्स्टीच्यूट पूना, १९८३. १५ Jainism, प्राकृत भारती, जयपुर, १९८६ १६. भगवान महावीरनो अनेकान्तवाद (गुज०), अहमदाबाद १९८९ - १७. गणधरवाद (गुजराती)-गुजरात विद्यासभा अहमदाबाद १९५२ १८. स्थानांग-समवायांग-वही, १९५५ १९ गणधरवाद (हिन्दी)-प्राकृत भारती, जयपुर १९८५
__ लेख ( गुजराती) १. जइणो अ अजइणो अ, (जैन अने जैनेतर)- जैन प्रकाश ४-२-२२ २. सुधाराना राह पर वही, ४-९-२९
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