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बाल ब्रह्मचारिणी श्री कौशलकुमारी के नाम पत्र
नई दिल्ली-२
१-७-६१ आदरणीय बहिन कौशल जी,
सादर नमस्कार । नैतिक शिक्षा समिति नई दिल्ली के मार्गदर्शन में चलाए गए नैतिक शिक्षण शिविर का समापन आज आपके सानिध्य में कैलाश नगर दिल्ली में सम्पन्न हभा। मैंमे आपका प्रवचन आज तक नहीं समा था, हालांकि बहुत प्रशंसा सुनता आ रहा था ? आज पहिली बार ही प्रवचन सुनने को मिला और सुनकर बहुत दुःख हुआ और साथ ही आश्चर्य भी। आपने अपने प्रवचन में निम्नलिखित बातें कहीं उससे बहुत से प्रश्न उत्पन्न हो जाते हैं तथा वहां उपस्थित कई गणमान्य व्यक्तियों ने इस पर चर्चा भी की। आपने कहा
"मैं आगम के विरुद्ध बोल रही हूं। महावीर स्वामी के संबंध में अक्सर कहा जाता है कि उन्होंने नारी जाति को काफी स्वतंत्रता दी परन्तु मैं तो कहूंगी कि महावीर स्वामी ने जिनका अनुशासन चल रहा है, नारी जाति के प्रति बड़ा अन्याय किया है क्योंकि उन्होंने कहा है कि नारी मोक्ष नहीं जा सकती। आयिका ज्ञानमती माता जी की तपस्या २०-२५ वर्षों से भी अधिक है और ज्ञानवान भी हैं परन्तु उनको भी उस मुनि को नमस्कार करना पड़ेगा, वह चाहे कुछ दिन पहिले ही मुनि क्यों न बना हो।" उपरोक्त प्रवचन से निम्नलिखित प्रश्न उत्पन्न होते हैं
१. क्या दि० त्यागी चाहे वह किसी भी पद पर हो, आगम के विस्द्ध बोल सकता है ? २. क्या महावीर भगवान ने कोई ऐसी अलग बात की जो उनसे पूर्व अन्य तीर्थकरों ने न की हो? ३. क्या नारी जाति को मोक्ष होने की मनाही केवल महावीर स्वामी ने की उससे पूर्व नारी भव से
मोक्ष होने की बात आगम में कहीं भी कही गई है ? ४. क्या आर्यिका ज्ञानमती जी को इतना ज्ञात नही है कि नारी किसी भी पद पर हो उसका पद
मुनि से छोटा है और उसे मुनि को नमस्कार करना होगा? ५. क्या शास्त्रों का इतना अध्ययन करने के पश्चात भी अभी तक स्त्री को मोक्ष न होने के कारण
की जानकारी नहीं हो पाई है ?
___ यदि आप समझती हैं कि जो आपने प्रवचन में कहा है वह आपकी मान्यताओं के अनुसार सही है तो आपको यह बात सिद्धान्तों एवं तर्क से सिद्ध करनी चाहिए ! त्यागी होते हुए आगम के बिरुद्ध बोलना जनता में भ्रम उत्पन्न करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं होगा और उसका परिणाम ऐसा ही होगा जैसे श्वेताम्बर समाज की उत्पत्ति हुई।
सादर, क्षमा प्रार्थी
विमल प्रसाद जैन, मंत्री दि. जैन नैतिक शिक्षा-समिति, नई दिल्ली,
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