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वोर सेवा मन्दिरका त्रैमासिक
अनकान्त
(पत्र-प्रवर्तक : प्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर') वर्ष ४४: कि०३
जुलाई-सितम्बर १९९१
इस अंक मेंक्रम
विषय १. सम्बोधन २. तत्वार्थवार्तिक में प्रयुक्त ग्रन्थ
-डा. रमेशचन्द्र जैन, बिजनौर ३. कर्नाटक में जैनधर्म-श्री राजमल जैन, दिल्ली ४. केन्द्रीय संग्रहालय गुजरी महल में सुरक्षित प्रतिमाएं
-डा० नरेश कुमार पाठक ५. मचित भक्त कवि हितकर और बालकृष्ण
डा. गंगाराम गर्ग ६. तीर्थराज सम्मेद शिखर इतिहास के बालोक में
-डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल ७. देवगढ़ पुरातत्त्व की संभाल में औचित्य
-श्री कुन्दनलाल जैन, दिल्ली ८. आध्यात्मिक दो पद । ६. साक्षी भाव-श्री बाबूलाल जैन १०. भाचार्य जिनसेन की काव्य कला
-जस्टिस एम. एल. जैन ११. आचार्य कुन्दकुन्द की पाण्डुलिपियों की खोज
-डा. ऋषभचन्द जैन फौजदार १२. अपरिग्रही ही आस्म-दर्शन का अधिकारी
-श्री पपचन्द्र शास्त्री 'सम्पादक' १३. देखो, कहीं श्रवा डगमगा न जाय
-श्री पपचन्द्र शास्त्री, दिल्ली १४. पांजलि
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प्रकाशक:
वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२