Book Title: Anekant 1991 Book 44 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 118
________________ अतिशय क्षेत्र अहार के जैन यंत्र 0 डॉ० कस्तूरचन्द्र 'सुमन' जैनधिद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी (राज.) मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में जैनपुरातत्त्व की दृष्टि बायीं ओर लिखा गया है । शब्द रचना में वर्णों का प्रयोग से अतिशय क्षेत्र अहार का मौलिक महत्त्व है। यहाँ चन्देल दायीं ओर न किया जाकर बायी ओर किया गया है। कालीन स्थापत्य एवं शिला कला का अपार वैभव संग्रहीत शब्द के आदि का वर्ण अन्त में प्रयुक्त हपा है। जैसे है। निश्चित ही यह स्थली अतीत मे जैनों की उपासना टीकमगढ़ निम्न वर्ण क्रम में लिखा गया है--'ढ ग म क का केन्द्रस्थल रही है। टी' । अभि ख निम्न प्रकार उत्कीर्ण हैमध्यकाल में श्रावको ने भिन्न-भिन्न प्रकार के व्रता संवत् २०२६ श्री सिद्धक्षेत्र अहारमध्ये गजरथ पंचकी साधनाएं की तथा उन व्रतो से सम्बन्धित यन्त्र भो कल्याणक प्रतिष्ठायां प्रतिष्ठाप्य इह श्री सिद्धचक्र यत्र प्रतिष्ठापित किये । अहार केत्र में जिन व्रतों को साधनाएं नित्यं प्रणमति टीकमगढ म. प्र. हुई तथा उनसे सम्बन्धित जो यन्त्र प्राप्त हुए हैं, उनकी (४) सरस्वती यन्त्रम संख्या तीस है। इन यन्त्रों मे पीतल और तांबा घात यह यंत्र ताम्र धातु के एक चौकोर फलक पर उत्कीर्ण व्यवहृत हुई है। पीतल घातु से निमित फलक तेरह और है। इस फलक की ऊचाई सत्रह इच और चौड़ाई दस तांबा धातु के फलक अठारह है। इनके आकार दो प्रकार इंच है। इसके शिरोभाग पर चार पंक्ति का संस्कृत भाषा के गोल और चौकोर । पीतल धातु के गोल आकार और नागरी लिपि में निम्न लेख उत्कीर्ण हैमें बारह और एक चौकोर यत्र है। इसी प्रकार ताम्र १. विक्रम संवत् २००४ फाल्गुन शुक्ला पंचम्यां धातु के गोल यंत्र दस तथा आठ चौकोर यत्र हैं। इन २. रविवासरे अहार क्षेत्र श्री इन्द्रध्वज पंचयंत्रों का विवरण निम्न प्रकार है ३. कल्याणक गजरथ प्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापि. (१) ऋषिमण्डल यन्त्र ४. तम् । यह यन्त्र पीतम धातु के तेरह इच वाले फलक पर (५) मातका यन्त्र निभित है। इसमे निर्माण काल पादि से सम्गन्धित कोई यह यन्त्र ताम्रधातु के एक चौकोर फलक पर उत्कीर्ण लेख नहीं है। है। इस फलक की लम्बाई-चौड़ाई दस इंच है। इसके (२) चिन्तामणि पार्श्वनाष यन्त्र शिरोभाग पर संस्कृत भाषा और नागरी लिपि में निम्न यह यन्त्र पीतल धातु से निर्मित चौदह इंच वर्तुला चार पंक्ति का लेख हैकार फलक पर उत्कीर्ण है। इस यन्त्र पर भी निर्माण काल आदि से सम्बन्धित कोई लेख उत्कोणं नही है। यत्र १.विक्रम संवत् २०१४ फाल्गुन शुक्ला पंचाभ्यां रवि. प्राचीन प्रतीत होता है। २ वासरे अहारक्षेत्र श्री इन्द्रध्वज पञ्चकल्या ३ पक यजरथ-प्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापि(३) श्रीवृहद् सिद्धचक्र यन्त्र ४ तम् । यह यन्त्र १३ इंच के वर्तुलाकार ताम्रधातु के एक (६) अचल यन्त्र फलक पर उत्कीर्ण है। गुलाई में एक पक्ति का लेख भी यह यन्त्र पीतल धातु के फलक पर उत्कीर्ण है। यह उत्कीर्ण है। इस लेख की लेखन शैली आधुनिक लेखन- १० इंच ऊंचा और ६.३ इंच चौड़ा है। यन्त्र के नीचे दो शैली से भिन्न है। उर्दू भाषा के समान इसमें दायीं से पंक्ति का संस्कृत भाषा और नागरीलिपि में निम्न लेख

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