Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 19
________________ घासीलालजो महाराज चरणवन्दन स्वीकार हो । अपरञ्च समाचार यह है कि आपके भेजे हुए ९ शास्त्र मास्टर सोभालालजी के द्वारा प्राप्त हुए, एतदर्थ धन्यवाद ! आपश्रीजीने तो ऐसा कार्य किया है जो कि हजारो वर्षों से किसी भी स्थानकवासी जैनाचार्य ने नहीं किया । ___ आपने स्थानकवासीजैनसमाज के ऊपरजो उपकार किया है वह कदापि भुलाया नहीं जा सकता और नहीं भुलाया जा सकेगा। हम तीनों मुनि भगवान महावीर से अथवा शासनदेव से प्रार्थना करते हैं कि आपकी इस वज्रमयी लेखनी को उत्तरोत्तर शक्ति प्रदान करें ता कि आप जैन समाज के ऊपर और भी उपकार करते रहे और आप चिरञ्जीव हों। हम है आप के मुनि तीन मुनि सत्येन्द्रदेव-मुनि लखपतराय-मुनि पद्मसेन उदेपुर. इतवारी बाजार नागपुर ता. १९-१२-५६ प्रखर विद्वान जैनाचार्य मुनिराज श्री घासीलालजी महाराजद्वारा जो आगमोद्धार हुआ और हो रहा है सचमुच महाराजश्री का यह स्तुत्य कार्य है। हमने प्रचारकजी के द्वारा नौ सूत्रों का सेट देखा और कइ मार्मिक स्थलो को पढा, पढ कर विद्वान मुनिराजश्री की शुद्ध श्रद्धा तथा लेखनीके प्रति हार्दिक प्रसन्नता फूट पड़ी। वास्तव में मुनिराज श्री जैन समाज पर ही नहीं इतर समान पर भी महा उपकार कर रहे हैं। ज्ञान किसी एक समाज का नहीं होता वह सभी समाज की अनमोल निधि है जिसका एक एक सेट हर शहर गांव और घर घर में होना आवश्यक है। साहित्यरत्न मोहनमुनिसोहनमुनि जैन. શ્રમણ સંઘના પ્રચાર મંત્રી પંજાબ કેશરી મહારાજ શ્રી પ્રેમચંદજી મહારાજ જેઓશ્રી રાજકોટમાં પધારેલા હતા ત્યારે તેના તરફથી શાને માટે મલે અભિપ્રાય. શાસ્ત્રોદ્ધાર સમિતિ તરફથી પૂજ્યપાદ શાસ્ત્ર વારિધિ પંડિતરાજ સ્વામીશ્રી ઘાસીલાલાજી મહારાજદ્વારા શાસ્ત્રોદ્ધારનું જે કાર્ય થઈ રહ્યું છે તે કાર્ય જૈન સમાજ તેમાં ખાસ કરીને સ્થાનકવાસી જૈન સમાજને માટે મૂળભૂત મૌલિક સંસ્કૃતિની જડને મજબુત કરવા पाणुछे. * એટલા ખાતર આ કાર્ય અતિ પ્રશંસનીય છે માટે દરેક વ્યક્તિએ તેમાં યથાશક્તિ ભેગ દેવાની ખાસ આવશ્યક્તા છે અને તેથી એ ભગીરથ કાર્ય જલ્દીથી જલદી સંપૂર્ણ પણે પાર પાડી શકાય અને જનતા શ્રુતજ્ઞાનને લાભ મેળવી શકે. શ્રી દશવૈકાલિક સૂત્રઃ ૧

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