Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
नायायप्मकहाओ • 91191३४ अम्हे णं देवाणुप्पियाणं सिससभिक्खं दलयामो पडिच्छंतुणं देवाणुप्पिया सिस्सभिक्खं तए णं समणे भगवं महावीरे मेहस्स कुमारस्स अम्मापिऊहिं एवं वुत्ते समाणे एयमढे सम्म पडिसुणेइ तए णं से मेहे कुमारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ उत्तरपुरस्थिमं दिसीभार्ग अवक्रमइ सयमेव आभरण-मल्लालंकारं ओमुयइ तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स पाया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं आभरण-मल्लालंकारं पडिच्छइ पडिच्छित्ता हार-वारिधार-सिंदुवार-छिन्नमुत्तावलिप्पगासाई अंसूणि विणिप्पुवपाणी-विणिप्पुयमाणी रोयपाणी-रोयमाणी कंदपाणी कंदमाणी विलवमाणी- विलव माणी एवं बवासी-जइयव्यं जाया घड़ियव्वं जाया परकूकमियव्वं जाया अस्सि च णं अढे नो पमाएयव्यं अम्हंपिणं एसेव मग्गे भवउ ति कटु मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो सपणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति वंदिता नमंसित्ता जामेव दिसंपाउटया तामेव दिसं पडिगया।२९1-25
(३५) तए णं से मेहे कुमारे सयमेव पंचमुट्टियं लोयं करेइ करेत्ता जेणामेव समणे भगवं महावारे तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छिता सपणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं ववासी-आलित्ते णं भंते लोए पलितेणं मते लोए आलित-पलिते णं भंते लोए जराए मरणेण य से जहानामए केइ गाहावई अगारंसि शियायपाणंसि जे तस्थ भंडे भवइ अप्पभारे मोल्लगरुए तं गहाय आयाए एगंतं अवक्कमइ-एस मे नित्थरिए समाणे पच्छा पुरा र लोए हियाए सुहाए खमाए निस्सेसाए आनुगामियत्ताए पविस्सइ एयामेव मम वि एगे आवाभंडे इढे कंते पिए मणुण्णे मणामे एस में नित्थारिए समाणे संसारवोच्छेयकरे भविस्सइ तं इच्छामि णं देवाणुप्पिएहिं सयमेव पव्वावियं सयमेव मुंडावियं सबमेव सेहावियं सयमेव सिखावियं सयमेव आधार-गोयर-विणय-वेणइय-चरण-करण-जायामायावत्तियं धम्मपाइक्खियं तए णं समणे भगवं महावीर मेहं कुमारं सबमेव पव्यावेइ सयमेव {मुंडावेइ सयमेव सेहावेइ सयमेव सिक्खावेइ सयमेव आयार गोयर-विणव-वेणइव-चरण करण-जायामायावत्तियं] धम्ममा-इक्खइ एवं देवाणुप्पिया गंतव्वं एवं चिट्ठियव्वं एवं निसीयव्यं एवं तुयट्टियव्यं एवं भुजियव्वं एवं भासियव्यं एवं उद्याए उठ्ठाय पाणेहिं भूएहि जीवेहि सत्तेहिं संजमेणं संजमियव्यं अस्सि च णं अहे नो पमाएयध्वं तएणं से मेहे कुमारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए इमं एयारूवंधम्मियं उवएस सम्म पडिवअइ तपाणाए तए गच्छाइ तए चिट्ठइ तए निसीयइ तए तुयइतए भुंजइतए भासइ तए उठाए उहाय पाणेहिं भूएहिं जीवेहिं सतेहिं संजमेणं संजमइ।३०l-26
(३६) जद्दिवसं च णं मेहे कुमारे मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तरस णं दिवस्स पञ्चावरण्हकालसमंयसि समणाणं निणंथाणं अहाराइणियाए सेजा-संथारएसु विभज. पाणेसु मेहकुमारस्स दारपूले सेजा-संथारए जाए यावि होत्था तए णं समणा निगंथा पुव्यातावरत्तकालसमयंसि वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्माणुजोगचिंताए य उच्चारस्स वा पासवणस्स वा अइगच्छमाणा य निग्गच्छमाणा य अप्पेगइया पेहं कुमारं इत्येहिं संघद्देति अप्पेगेइया पाएहि संघट्टेति अप्पेगइया सीसे संघर्टेति अप्पेगइया पोट्टे संघति अप्पेगइया कार्यसि संघति] अप्पेगइया ओलंडेति अप्पेगइया पोलंडेंति अप्पेगइया पाय-रय-रेणु-गुंडियं करेंति एमहालियं च रयणि मेहे कुमारे नो संचाएइ खणमवि अच्छि निमीलित्तए तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अयमेवारूवे अझथिए [चिंतिए पस्थिए एणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं सेणियस्स रण्णो पुरो धारिणीए देवीए अत्तए पेहे [इडे कंते पिए मणुण्णे मणामे येज्जे वेसासिए सम्मए बहुमए
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182