Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१०८
नायाधम्मकहाणे - 91-19४१४९ भारियाए अनुरते अविरत्तेउरालाइं[माणुसगाई भोगभोगाई मुंजमाणे दिहरइ।१०२।-96
(१४१) तए णं से कणगरहे राया रख्ने य रहे य बने य वाहणे य कोसे य कोडागारे य पुरे य अंतेडरे य मुछिए गढिए गिद्धे अज्झोववण्णे जाए जाए पुत्ते विचंगेड-अप्पेगड्याणं हत्यंगुलियाओ छिदइ अप्पेगइयाणं हत्यंगुट्ठए छिंदड़ अप्पेगइयाणं पायंगुलियाओ छिनई सपेगइयागं पायंगुट्टए छिदइ [अप्पेगइयाणं कण्णसक्कुलीओ छिदइ अपेगइयाण] नासापुडाई फालेइ अगत्याणं अंगो वंगाइं वियत्तेइ तए ण तीसे पउमाबईए देवीए अण्णया कयाइ एयरत्तासरत्तकालसमयसि अवमेचारूवे अन्झस्थिए चिंतिए पत्याए मणोगए संकप्पे समुपजिस्था-एवं खलु कणगरहे राणा रख्ने य रहे च बले य वाहणे य कोसे य कोलागारे य पुरे य अंतेउरे य मुच्छिए गदिए गिद्धे अज्झोववण्णे जाए जाए पुत्रो विषंगेइ-अप्पेगइयाणं हत्थंगुलियाओ छिदइ अप्पेगइयाणं हत्थंगुष्ठए हिंदइ अप्पेगइयाणं पायंगुलियाओ छिंदइ अप्पेगइयाणं पायंगुदुए छिंदइ अपेगझ्याणं कण्णसकुतीओ हिंदइ अप्पेग इराण नासापुडाइं फालेइ अणेगइयाणं] अंगमंगाई वियत्तेइं तं जय अहं दास्यं परायामि सेयं खलु मम तं दारगं कणगरहस्स रहस्सिवयं चैव सारम्वणीए संगोवेगरीए विरितए ति कट्ट एवं संपेहेइ संपेहेत्ता तेयलिपुतं असहं सद्दावेइ सहावेत्ता एवं वयासी-एवं खन देवा गुपिया कणगरहे राधा रजे व रिझे य बले य वाहणे य कोसे व कोहागारे य पुरे य अंतेउरेन भुटिया गदिश गिद्धे अझोपवण्णे जाए, डाए पुत्ते बियंगेइ अप्पेगइयाणं हत्थंगुलियाओ हिंद; अप्पेबयाणं हत्याहए छिदइ अप्पेगइयाणं पायंगुलियाओ छिंदइ अप्पेगइयाणं पायंगुष्ठए छिदइ अपेपझ्याणं कण्णसक्कुलीओ छिदइ अप्पेगइयाणं नासापुडाई फालेइ अप्पेगइयाणं अंगोवंगाई) वियत्तेइ तंजर णं अहं देवाणुप्पिया दारगं पयायामि तएणं तुमं कगगरहस्स रहस्सिययं व अनपुजण सारम्माणे संगोवेमाणे संवड्ढेहि
तए णं से दारए उम्मुक्कयालभावे विण्णय-परिणयमेत्ते जाव्यणगमणुप्पत्ते तव मप च भिस्खाभावणे भविरसइ तए णं से तेलिपुत्ते अमचे परमावईए देवीए ण्यमढें पटेिसुणेइ पडिमणेत्ता पडिगए तए णं पउमावई देवी पोट्टिला च अमच्ची सममेव गभं गेहात सममेव परिवहति ते णं सा पउमावई देवी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाब पियदसणं सुरूवं दारगं पयाया जं रयणिं च णं पञ्मावई देवी दारयं पयाया तं रयणि च ण पोट्टिला वि अमच्ची नदण्हं मासाणं विणिहायमावनं दारियं पयाया तए णं सा पउमाघई देवी अम्मधाई सद्दावेइ पद्दावेत्ता एवं वयासी-पच्छह णं तुम अम्मो तेयलिपुत्तं रहस्सिययं चेव सद्दावेहि तए णं सा अम्मधाई तहत्ति पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता अंतेउरस्स अवदारेणं निगच्छइ निगच्छित्ता जेणेय तेयलिम्स गिहे जेणेव तेयलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता करयल [परिग्गहियं सिरसावतं मत्थर अंजलि कट्ट एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया परपावई देवी सदावेद तए णं तेयलिपुत्ते अम्पधाईए अंतिए एयमटुं सोचा हट्टतुट्टे अम्पधाईए सद्धिं साओ गिहाओ निग्गच्छइ निगच्छित्ता अंतेउरता अबदारएणं रहस्सिययं चेव अनुष्पविसइ अनुप्पविसित्ता जेणेव पउमावई देवी तेणेव उवागण्इ उवागच्छित्ता कायल [परिगहियं सिरसावतं मत्थए अंजलिं कट्ट] एवं वयासी-संदिसंतुणं देवाणुप्रिया जं मए कायव्वं तए णं पउमावई देवी तेयलिपुत्तं एवं वयासी-एवं खलु कणगरहे राया जाव पुत्ते वियंगेइ अहं च णं देवाणुप्पिया दारगं पयाया तं तुमं णं देवाणुप्पिया एवं दारगं गेण्हाहि जाब तब मम य भिक्खामायणे भविस्सइ ति कट्टतेयलिपुत्तस्स हत्थे दलयइ तए ण तेलिपुत्ते पउमावईए हत्थाओ
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182