Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 126
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुयखंधो-१, अन्नपणे-१५ ११७ तए णं से धणे सत्यवाहे महत्थं महग्धं महरिहं पायारिहं पाहुडं गेण्हइ गेण्हित्ता बहुपुरिसेहि सद्धिं संपरिषुडे अहिच्छत्तं नयरिंमझमज्झेणं अनुप्पविसइ अनुप्पविसित्ता जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता करवल जाव वहावेइ वद्धावेत्ता तं महत्थं महाधं महरिहं रायारिह पाडुहं उवणेइ तए णं से कणगकेऊ राया हट्टतुट्टे घणस्स सस्थवाहस्स तं महत्थं महग्धं महरिहं यारिहं पाहुडं पडिच्छइ पडिच्छित्ता धणं सत्थवाहं सककारेइ सम्माणेइ सककारेत्ता सम्पाणेत्ता उस्सुककं वियरइ वियरिता पडिविसञ्जेइ भंडविणिमयं करेइ करेत्ता पडिमंडं गेण्हइ गेण्हिता सुहंसुहेणं जेणेव चंपा नयरी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिता मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधिपरिवणेणं सद्धिं] अभिसमण्णागए विपुलाई माणुस्सगाई भोग भोगाई पच्चणुभवमाणे विहरइ तेणं कालेणं तेणं सपएणं येरागमणं धणे सत्यवाहे धम्मं सोचा जेट्ठपुत्तं कुटुंबे ठावेत्ता पव्वइए सामाइवमाइबाई एक्कारस अंगाई अहिजित्ता बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासिवाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता अग्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववण्णे महाविदेहे वासे सिन्झिहिइ [बुझिहिइ मुधिहिइ परिनिव्वाहिइ सच्यदुक्खाण मंतं करेहिइ एवं खलु जंबू समणेणं भगयया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पत्ररसमस्स नायज्झयणस्स अयमट्टे पत्रत्ते ति वेमि।१११-105 •पढमे सुयखंघे पन्नरसपं अज्झयणं समत्त. | सोलसमं अज्झयणं-अवरकंका (१५८) जइणं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पत्ररसपस नायज्झयणस्स अचमढे पन्नत्ते सोलसमस्स णं भंते नायन्झवणस्स के अटे पत्रत्ते एवं खत्तु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएमं चंपा नामं नयरी होत्था तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए सुभूमिभागहे नामं उजाणे होत्था तत्स्थ णं चंपाए नयरीए तओ पाहणा भायरो परिवसंति तं जहा-सोमे सोमदते सोमभूई-अड्ढा जाव अपरिभूया रिउव्वेय-जउव्वेय-सामवेय-अधव्वणवेय जाव बंभण्णएसु य तत्थेसु सुपरिनिट्ठिया तेसि णं माहणाणं तओ भारियाओ होत्या तं जहा-नागसिरी भूयसिरी जक्खसिरी-सुकुमालपाणियायाओ जाव तेसि णं पाहणाणं इठाओ तेहिं माहणेहिं सद्धिं विउले पाणुस्सए कासमोए पच्चणुभवमाणीओ विहरति तए णं तेसि माहणाणं अण्णया कयाइ एगयओ समुवागयाणं जाय इमेवारुवे मिहोकहा-समुल्लावे सपुष्पग्जित्था एवं खलु देवाणुप्पिया अम्हं इसे विउले धण- जाव सावएजे अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पकामं दाउं पकामं भोत्तुं पकामं परिभाएउं तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया अण्णमण्णस्स गिहेसु कल्लाकलिं विपुलं असणजाव-साइमं उवरखडेउं परिभुंजेमाणाणं विहरित्तए अण्णमण्णस्स एवमट्ठ पडिसुणेति कल्लाकल्लिं अण्णमाणाणं विहरित्तए अण्णमण्णस्स एयमर्दु पडिसुणेति कल्लाकल्लिं अण्णमण्णस्स गिहेसु विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडावेति परिभुजेमाणा विहरति तए णं तीसे नागसिरीए माहणीए अण्णया कवाइ भोयणवारए जाए यावि होत्या तए णं सा नागसिरी विपुलं असण-पाण-खाइग-साइपं उवक्खडेइ एगं महं सालइयं तित्तालाउ बहुसंभारसंजुत्तं नेहावगाढं उवक्खडेइ एग बिंदुयंकरयलंसि आएइ तं खारं कडुयं अखजं विसभूयं जाणित्ता एवं बयासी- धिरत्यु णं मम नागसिरीए अधन्नाए अपुन्नाए दूभगाए दूभगसत्ताए दूभगनिंबोलियाए जाए णं मए सालइए तित्तालउए बहुसंभारसंभिए नेहावगाढे उवखडिए सुबहुदव्वक्खए नेहक्खए य कए तं जइ णं ममं जाउयाओ जाणिस्मति तो णं मम खिसिम्संति तं जाव मर्म जाउ For Private And Personal Use Only

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