Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सुयक्खंधी-१, अञ्झयणं-१ ६
१२३
एयारूवं अंगफासं पडिसंवेदेइ से जहानामए-असिपत्ते इ वा जाव एतो अमणामतरागं चैव अंगफासं पचणुब्भवमाणे बिहरइ तए णं से सागरए दारए सूमालियाए दारियाए अंगफासंअसहमाणे अवसवसे मुहुत्तमेत्तं संविदुइ तए णं से सागरदारए सूमालियं दारियं सुहपसुत्तं जाणित्ता सूमालियाए दारियाए पासाओ उडेइ उहेत्ता जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उदागच्छइ उवागच्छिता सयणिसि निवज्जइ तए णं सा सूमालिया दारिया तओ मुहुत्तंतरस्स पडिबुद्धा समाणी पइव्वया पइमरता पई पासे अपस्समाणी तलिमाओ उद्देइ उत्ता जेणेव से सयणिजे तेणेव उवागच्छ उवागच्छिता सागरस्स पासे अनुवाइ तए णं से सागरदारए सूमालियाए दारियाए दोच्चंपि इमं एवारूवे अंगफासं पडिसंवेदेइ जाब अकामए अवसवसे मुहुत्तमेतं संचिट्ठइ तए णं से सागरदारए सूमालियं दारिवं सुहपसुतं जाणित्ता सयणित्राओ उडेइ उठ्ठेता वासधरस्स दारं विहाडे विहाडेत्ता मारामुक्के विकाए जामेव दिसिं पाउब्यूए तामेव दिसिं पडिगए ।११७/-111
(१६४) तए णं सा सूमालिया दारिया तओ मुहुत्तंतरस्स पडिबुद्धा पतिव्वया | पइमणुरत्ता पई पासे] अपासमाणी सयणिजाओ उट्ठेइ सागरस्स दारगस्स सच्चओ समंता मग्गण-गवेसणं करेमाणी- करेमाणी वासघरस्स दारं विहाडियं पासइ पासित्ता एवं बयासी गए णं से सागरए ति कट्टु ओहयमणसंकप्पा [करतल- पल्हत्यमुही अट्टज्झाणोवगया ] झियायइ तए णं सा भद्दा सत्यवाही कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणवरे तेयसा जलंते दासचेडिं सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी - गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिए बहूबरस्स मुहधोवणियं उवणेहिं तए णं सा दासचेडी भद्दाए सत्यवाहीए एवं वुत्ता समाणी एयम तहत्ति पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता मुहधोवणियं गेण्हइ गेण्हित्ता जेणेव वासपरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सूमालियं दारियं जाव झियायमाणि पासइ पासित्ता एवं बयासी किरणं तुमं देवाणुप्पिए ओहमयणसंकप्पा [ करतलपल्हत्थमुही अट्टज्झाणोवगया ] झियाहि तए णं सा सूमालिया दारिया तं दास चेडिं एवं ववासी- एव खलु देवापिए सागरए दारए ममं सुहपसुत्तं जाणित्ता मम पासाओ उडेइ उद्देत्ता वासघरदुवारं अवंगुणेइ [अवंगुणेत्ता मारामुक्के बिव काए जामेव दिसिं] पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए तए हं तओ मुहुत्तरस्स पडिबुद्धा [ पतिव्वया पइमणुरत्ता पई पासे अपासमाणी सयणिज्जाओ उद्वेमि सागरस्स दारगस्स सव्वओ समंता मग्गण-गवेसणं करेमाणी-करेमाणी वासघरस्स दारं ] बिहाडियं पासामि पासित्ता गए णं से सागरए ति कट्टु ओहयमणसंकप्पा जाय झिवायामि तए णं सा दासचेडी सूमालियाए दारियाए एवमहं सोच्चा जेणेव सागरदत्ते सत्यवाहे तेणेच उदागच्छइ उवागच्छित्ता सागरदत्तस्स एयमहं निवेदेइ
तए णं से सागरदत्ते दासचेडीए अंतिए एयमहं सोचा निसम्म आसुरुते रुड्डे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे जेणेव जिणदत्तस्स सत्यवाहस्स गिहे तेणेव उवागच्डइ उवागच्छिता जिणदत्तं सत्यवाहं एवं क्यासी किण्णं देवाणुप्पिया एवं जुत्तं वा पत्तं वा कुलाणुरूवं वा कुलसरिसं वा जपणं सागरए दारए सूमालियं दारियं अदिडदोसवडियं पइव्वयं विप्पजहाय इहमागए बहूहिं खिज्जणियाहि य रूढाणियाहि य उबालभइ तए णं जिणदत्ते सागरदत्तरस सत्यवाहस्स एयम सोच्द्या जेणेव सागरए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सागरयं दारुयं एवं क्यासी- दुड्छु णं पुत्ता तुपे कयं सागरदत्तस्स गिहाओ इहं हब्चमाच्छतेणं तं गच्छह णं तुमं पुत्ता एवमवि गए सागरदत्तस्स गिहे तए णं से सागरए दारए जिणदत्तं सत्यवाहं एवं वयासी- अवियाई अहं ताओ गिरिपडणं वा
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