Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 150
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४१ सुपक्खंयो-१, अापणं-१६ याउह-पहरणे) आभिसेक्कं हदियरयणं दुरुहइ दुरुहिता हय-गय-जाव बिंदपरिक्खित्ते जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव पहारेत्य गमणाए तए णं से कण्हे वासुदेवे पउमनाभं रायं एजमाणं पासइ पासित्ता ते पंच पंडवे एवं वयासी-हंभो दारगा किण्णं तुटभेपउमनाभेणं सद्धिं जुझिहिह उदाहु पेच्छिहिह तएणं ते पंच पंडया कण्हं वासुदेवे एवं वयासी-अम्हे णं सामी जुन्झामो तुझे पेच्छह तए णं ते पंच पंडवा सण्णद्ध-जाव पहरणा रहे दुरुहंति दुरुहिताजेणेव पउमनाभे राया तेणेव उवागञ्छिति उवागच्छंत्ता एवं वयासी-अम्हे वा परमनामे वा राय त्ति कटु पउमनाभेणं सद्धिं संपलग्गा यावि होत्था तए णं से परमनाभे राया ते पंच पंडवे खिप्पामेव हय- महिय- पवरवीर- घाइयविवड़ियचिंध-धय-पड़ागे किच्छोवगयपाणे] दिसोदिसि पडिसेहेइ तए णं ते पंच पंडवा पज्मनाभेणं रणा हय-महिव-पवर जाय पडिसेहिया समाणा अत्यामा [अवला अवीरिया अपुरिसक्कारपरक्कमा अधाणिज्जमिति कट्ट जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागछति तए णं से कण्हे वासुदेवे ते पंच-पंडये एवं ययासी-कहण्णं तुन्भे देवाणुप्पिया पउमनाभेणं रण्णा सद्धि संपलग्गा तए णं ते पंच पंडवा कण्हं वासुदेवंएवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाअम्हे तुडभेहिं अभणुण्णाया समाणासण्णद्धवद्ध-वम्मेिव-कवया रहे दुरूहामो दुरूहेत्ता जेणेव पउमनाभे तेणेव उवागच्छामो उवागच्छित्ता एवं वयामो-अहे वा पञ्ननाभे या रायनिकटु नाव पडिसेहेइ तए णं से कण्हे वासुदेवे ते पंच पंडवे एवं वयासी-जइ णं तुभे देवाणुप्पिया एवं वर्षता-अम्हे नो पमनाभे रावत्ति कडु पउपनामेणं सद्धि संपलगता तो णं तट नो परमनाभे हय-पहिय-पवर-जाव पडिसेहित्या तं पेच्छह गं तुटभे देवाणप्पिया अहं नो पउमनाभे रायत्ति कट्ट पठमनाभेणं रण्णा सद्धि जन्झामि त्ति रहं दुरुहइ दुरुहित्ता जेणेव परमनाभे राया तेणेव उपागच्छइ उवागच्छिता सेवं गोखीरहार-धवलं तणसोल्लिव- सिंदु वार-कुंदेसु-सणिणगासं निययस्स बतस्स हरिस-जणणं रिउसेणण-विणासागकरं पंचजण्णं संखं परामुसइ परामुसिता मुहवायपूरियं करेइ तए तस्स पउमनाभस्स तेणं संखसद्देणं बल-तिभाए हय-जाव पडिसेहिए तए णं से कण्हे वासुदेवे [अइरुग्णवालवंद-इंदघण-सणिगासं वरमहिसदरिय- दप्पिय दढघणसिंगग्गाइयसारं उरगवर-पवरगवल-पवापरहुय-भमरकुल- नीलि-निद्धधंत-धीच-पट्ट निउणोविय-मिसिमिसिंत-मणिरयण-धंटियाजालपरिस्वित्तं तडितरुणकिरणतवणिजबद्धचिंधं दद्दरमलयगिरिसिहर-केसरचापरवाल-अद्धचंदचिंधं काल-हरिय-रत्त- पीयसुक्किल- बहुण्हारुणि-सपिण्णद्धजीवं जीवियंतकर! धणुं 'परामुसइ परामुसित्ता घj पूरेइ पूरेत्ता धणुस कोइ तएणं तस्स पउमनाभस्स दोने बल-तिभाए तेणं धणुसद्देणं हव-महिय जाव पडिसेहिए ए णं से पउमनापे राया तिभागवलावसेसे अत्यामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिमिति कट्ट सिधं तुरियं चवलं चंडं जइण वेइयं जेणेव अवरकंका तेणेव उवागच्छाइ उवागछित्ता अवरकंकं रायहाणिं अनुपविसइ अनुपविसित्ता बाराई पिहेइ पिहेत्ता रोहासने चिट्ठइ ते णं से कण्हे वासदेवे जेणेव अवरकंकं तेणेव उवागच्छइ उवागकित्ता रहं ठवेइ ठवेत्ता रहाओ पच्चोरूहइ पच्चोरूहित्ता वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहण्णइ एगं महं नरसीह-रूवं विउव्वइ विउब्वित्ता महया-महया सद्देणं पायदद्दरियं करेइ तए णं कण्हेणं वासुदेवेणं महया महया सद्देणं पायदद्दरएणं कएणं समाणेणं अवरकंका रायहाणी संभाग-पागार-गोउराट्टलय-चरिय-तोरण-पल्हथिय- पवरभवण-सिरिधरा सरसरस्स धरणियले सणिवइया तए णं से पउमनाभे राया अवरकंकरायहाणिं For Private And Personal Use Only

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