Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सुयक्ांधो- १, अम्झयणं- १८
१५५
पुत्ताणं अनुमग्गजाइया सुंसुमा नामं दारिय अहीणा जाव सुरूवा तं गच्छामो णं देवाणुष्पिया पणस्स सत्यवाहस्स गिहं विलुंपामो तुमं विपुले धण-कणग-रयण- मणि- मोत्तिय संख सिल प्पवाले ममं सुसुमा दारिया तए णं ते पंच चोरसया चिलायस्स एवमहं पडिसुणेति तए णं ते चिलाए चोरसेणाबई तेहिं पंचलिं चोरसएहिं सद्धि अल्लं चम्मं दुरुहइ दुरुहिता पच्चाव- रण्ह - कालमयंसि पंचहि चोरसएहिं सद्धिं सण्णद्ध - बद्ध-वम्मिय-कबएउप्पीलिय-सरासणपट्टिए पिणद्ध-विजे आविद्ध-विमल-वरचिंधपट्टे ] गहियाउह-पहरणे माइय-गोमुहिएहिं फलएहिं निक्किट्ठाहिं असिल
तो सजीवेधिहिं छिप्पतूरेहिं वज्रमाणेहिं महया महया उक्तिकट्ठ- सीहनाय - बोलकलकलरवेणं पक्खुभिय-महा] समुद्दरवभूवं पिव करेमाणा सीहगुहाओ चोरपल्लीओ पडिनिक्खपंति पडिनिमित्ता जेणेव रायगिहे नवरे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता रायगिहस्स अदूरसामंते एवं महं गहणं अनुष्पविसंति अनुष्पविसित्ता दिवसं खवेमामा चिति
तए णं से चिलाए चोरसेणावई अद्धात्त-कालसमयंसि निसंत- पडिनिसंतंसि पचंहि चोरससिद्धि माइय- गोमुहिएहिं फलएहिं जाव मूइयाहिं ऊरुघंटियाहिं जेणेव रायगिले नयरे पुरथिमिल्ले दुवारे तेणेव उद्यागच्छ्इ उदगवत्थिं परामुसइ आयंते चोक्खे परमसुइभूए तालुग्धाडणि विचं आवाहे आवाहेत्ता रायगिहास दुबारकवाडे उदएणं अच्छोडेट्स अच्छोडेत्ता कवाडं बिहाडे विहाडेत्ता रायगहं अनुष्पविसइ अनुष्पविसित्ता महया-महया सदेणं उग्धो- सेमाणे उग्धोसेमाणे एवं बवासी एवं खलु अहं देवाणुप्पिया चिलाए नामं चोर सेणावई पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं सीहगुहाओ चोरपल्लीओ इह हव्यमागए धणस्स सत्यवाहस्स गिहं घाउकामे तं जे णं नवियाए माउयाए दुद्धं पाउकामे से णं निगच्छउ त्ति कट्टु जेणेव घणस्स सत्यवाहस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता
सहिं बिहाइ त णं से धणे चिलाएणं चोरसेणावइणा पंचहिं चोरसएहिं सद्धि गिहं घाइजमाणं पासइ पासिता भीए तत्थे तसिए उचिग्गे संजाय भए पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं एगंतं अवक्कमइ तए णं से चिलाए चोरसेणावई धणस्स सत्यवाहस्स गिहं घाएइ धाएता सुबहुं धण- कणग- [ रयण- मणिमोतिष-संख-सिल प्पवाल-रत्तरयण-संत-सार] -सावएवं सुंसुमं च दारियं गेण्हइ गेण्हित्ता रायगिहाओ पडिनिक्खमई पडिनिक्खमित्ता जेणेव सीहगुहा तेणेव पहारेत्थ गमणाए । १४४/- 138
(२११) तए णं से घणे सत्थवाहे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सुबहुं घण-कणगं सुसुमं च दारियं अवहरिवं जाणित्ता महत्यं महग्धं महरिहं पाहुडं गहाय जेणेव नगरपुत्तिया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तं महत्थं महग्धं महरिहं पाहुडं उवणेइ उवणेत्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया चिलाए चोरसेणावई सीहगुहाओ चोरपल्लीओ इहं हवमागम्म पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं मम हिं घाएता सुबहु धण - कणगं सुंसुमं च दारियं गहाय रायगिहाओ पडनिमित्ता जेणेव सीहगुहा तेणेव पडिगए तं इच्छामो णं देवाणुष्पिया सुंसुमाए दारियाए कूवं गमित्त तुटणं देवाणुपिया से विपुले धणकपणे ममं सुंसुमा दारिया तए णं ते नगरगुत्तिया धणस्स एयमहं पडिसुणेति पडिसुणेत्ता सण्णद्ध-बद्ध-बम्पिय कवया जाव गहियाउहपहरणा महया-महया उकिकट्ट-[सीहनायबोल- कलकलरवेणं पक्खुभिय-महा] समुद्द-रवभूयं पिव करेमाणा रायगिहाओ निग्गच्छंति निग्गच्छित्ता जेणेव चिलाए चोरसेणावई तेणेद उदागच्छति उवागच्छिता चिलाएणं चोरसेणावइणा सद्धिं संपलग्गा यावि होत्या तए णं ते नगरगुत्तिया चिलायं चोरसेणावई हव-महिय - [पवरवीर घाइयविवडियचिंघय-पडागं किच्छोवगयपाणं दिसोदिसिं] पडिसेर्हेति
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