Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सुयखंघो-२, वणो-१, अअयणं-१
जइ ण मंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं धमकहाणं दस वग्गा पन्नत्ता पढमस्स णं मंते वग्गस्स समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अढे पत्रते एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं जाय संपतेणं पढमस्स वागस्स पंच अज्झयणा पन्नत्ता तंजहा-काली राई रयणी विजू मेहा जइणं मंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स वग्गस्स पंव अज्झयणा पत्रता पढमस्स णं भंते अन्झयणस्स समणेणं भगवया महावीरेणं जाय संपत्तेणं के अड्डे पत्रत्ते एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं सगएणं रायगिहे नयरे गणसिलए चेइए सेणिए राया चेल्लणा देवी सामी समोसढे परिसा निग्गया जाव परिसा पञ्जुवासइ तेणं कालेणं तेणं समएणं काली देवी चपरचंचाए रायहाणीए कालिवडेंसगभवणे कालंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं महपरियाहिं सपरिवाराहिं तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहि सत्तहिं अणियाहिवईहिं सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं अण्णेहि य बहूहि कालिवडिंसय-भवणवासीहिं असुरकुमारेहि देवेहिं देविहि य सद्धिं संपरिवुडा महयाहय- [नट-गीय-वाइयतंती- तल-ताल-तुडिय- धण-मुइंगपडुप्पवादियरवेणं दिच्चाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरइ इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणी-आभोएमाणी पासइ
एस्थ समणं भगवं महावीरं जंबुद्दीवे दीवे भारहे यासा रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिहिता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणं पासइ पासित्ता हट्ठतुट्ठ-चित्तपाणंदिया पोइपणा परमसोमणस्सिया हरिसवस-विसप्पमाण-हियया सीहासणाओ अडभुट्टेइ अब्भुढेत्ता पायपीढाओ पच्चोरूहइ पच्चोरूहिता पाउयाओ ओमुयइ ओमुइत्ता तित्याराभिमुही सत्तट्ठपयाई अनुगच्छइ अनुगच्छित्ता वाम जाणुं अंचेइ अंचेता दाहिणं जाणुं धरणियलंसि निहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणंधरणियलंसिनिवेसेइईसि पच्चुत्रमइ पचनमित्ताकडग-तुडिय-धंभिवाओ भुवाओ साहरइसाहरित्ता करयल [परिग्गहियं दसण्हं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टएवं वयासी
नमोत्थु णं अरहताणं भगवंताणं जाव सिद्धिगइनामधेनं ठाणं संपत्ताणं नमोत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव सिद्धिगइनामधेनं ठाणं संपाविउकामस्स वदामिणं भगवंतं तत्थगयं इहगया पासउ मे समणे भगवं महावीरे तत्थगए इहगयं ति कटु यंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता सीहासणवाप्ति पुरस्थाभिमुहा निसण्णा तए णं तीसे कालोए देवीए इमेयारूवे [अज्झथिए चिंतिए पत्थिए पणोगए संकप्पे] समुप्पज्जित्या-सेयं खलु मै समणं भगवं महावीरे वंदित्तए [नमंसित्तए सक्कारित्तए सम्माणितए कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं] पञ्जुवासितए त्ति कटु एवं संपेहेइ संपेहेत्ता
आमिओगिए देवे सद्दावेइ सद्दावेता एवं क्यासी एवं खलु देवाणुप्पिया समणे भगवं महावीरे विहरइ एवं जहा सूरियाभो तहेव आणत्तियं देइ जाव दिव्वं सरवराभिगमणजोग्गं करेह [य कारवेह य करेता य कारवेता य खिप्पामेव एवमाणतियों पच्चप्पिणह ते वितहेव करेत्ता जाव पञ्चप्पिणंति नवरं-जोयणसहस्सविस्थिण्णं जाणं सेसं तेच तहेव नामगोयं साहेइ तहेव नट्टविहिं उवदंसेइ जाव पडिगया भंतेति भगवं गोवमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासीकालीए णं भंते देवीए सा दिव्या देविड्डी दिव्या देय ई दिव्ये देवाणुभाए कहिं गए कहिं अनुष्पविद्वे गोयमा सरीरं गए सरीरं अनुष्पविढे कूडागारसाला दिद्रुतो अहो णं भंते काली देवी महिड्ढिया महइया महब्बला महायसा महासोक्खा महाणुभागा कालीए णं भंते देवीए सा दिव्वा देविड्दी दिव्या देवजुई दिब्वे देवाणुभागे किण्णा लद्धे किण्णा पत्ते किण्णा अभिसमण्णागए
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