Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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१४७
सुयष्ठपो-१, अमायण-१६ पुबगहियं भत्तपाणं एगते परिवठ्ठवेंति परिद्ववेत्ता जेणेव सेतुजे पच्वए तेणेव उवागच्छिति उवागछित्ता सेत्तुजं पव्वयं सणियं-सणियं दुरुहंति जाव कालं अणवकखमाणा विहरति तएणं ते जुहिछिलपामोक्खा पंच अणगारा सामाइयमाइवाइं चोद्दसपुब्बाइं अहिज्जित्ता बहूणि वासाणि सापण्णपरियागं पाउणित्ता दोमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेत्ता जस्सवाए कीरइ नग्गभावे जाव तपट्ठमाराति आराहेत्ता अनंतं केवलवरनाणदंसणं समुप्पाडेत्ता तओ पच्छा सिद्धा बुद्धा मुत्ताअंतगड़ा परिनिबुडा सव्वदुक्खप्पहीणा) 1१३६॥ -130
(१८३) तए णं सा दोवई अजा सुब्बयाणं अज्जियाणं अंतिए सामाइचमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिजिता बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेत्ता आलोइय-पडिकंता कालमासे कालं किच्चा बंभलोए उबवण्णा तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दस सागरोवमाई ठिई पनत्ता तत्थ णं दुवयस्स वि देवस्स दससागरोवमाई ठिई से णं भंते दुवए देवे ताओ (देवलोगाओ आउक्झएणं ठिइक्खएं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता जाव महाविदेहे वासे सिञ्झिहिइ बुज्झिहिइ मच्चिहिइ परिनिव्वाहिइ सव्वदुक्खाण मंतं काहिइ एवं खलु जंबू सपणेणं भगवया महावीणं आइगरेणं तिस्थगरेणं जाव सिद्धिगइनामधेनं ठाणं संपत्तेणं सोलसमस्स नायज्झयणस्स अयपढे पन्नत्तेत्ति बेमि।१३७/-131
• पढमे सुयक्त्रंधे सोलसपं अन्ययणं तपतं.
| सत्तरसमं अन्झयणं-आइण्णे | (१८४) जइणं भंते सपणेणं भगव्या महावीरेणं जाव संपत्तेणं सोलसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते सत्तरसमस्स णं भंते नायज्झयणस्स के अट्टे पन्नत्ते वण्णओ तत्थ णं कणगकेऊ नामं राया होत्था-वण्णओतत्य णं हस्थिसीसे नयरे वहवे संजता-नावावाणियगा परिवसंति-अड्ढा जाव बहुजणस्स अपरिभूया यावि होत्था तए णं तेसिं संजत्ता-नावावाणियगाणं अन्नया कयाइ एगयओ
सहिचाणं इमेयारूवे मिहोकहा-समुल्लावे समुष्पञ्जित्था-सेयं खलु अम्हं गणिमं च धरिमं च मेज़ च परिच्छन्नं च भंडगं गहाय लवणसमुदं पोयवहणेणं ओगाहेत्तए त्ति कटु] जहा अरहन्नए जाव लवणसमुदं अणेगाइं जोयणसयाई ओगाढा यावि होत्था तए णं तेसिं [संजत्ता-नावावाणियगाणं लवणसमुह अणेगाइं जोरणसयाई ओगाढाणं समाणाणं] बहूणि उप्पाइयसयाई [पाउट्याई तं जहा-अकाले गज्जिए अकाले विजुए अकाले थणियसद्दे कालियवाए य समुत्थिए तए णं सा नावा तेणं कालियवाएणं आहुणिजमाणी-आहुणिजमाणी संचालिजमाणी-संचालिजमाणी संखोहिजमाणी- संखोहित्रमाणी तत्येव परिभवइ तए णं से निजामए नट्टमईए नट्ठसुईए नहसणे मूढदिसामाए जाए यावि होत्था-न जाणइ कयरं देसं वा दिसं वा विदिसं वा पोय अवहिए ति कट्ट
ओहयमणसंकप्पे करतलपल्हस्थमुहे अट्टज्झाणोवगए झियायइ तए णं ते बहवे कुच्छिधारा य कण्णधारा य गभेल्लगा य संजता नावावाणियगा य जेणेव से निजामए तेणेव उवागच्छति उवागच्छिता एवं वयासी-किण्णं तुम देवाणुप्पिया ओहयमणसंकप्पे जाव झियायसि तए णं से निजामए ते बहवे कुच्छिधारा य कण्णधारा य गल्भेल्लगा य संजता नावावाणियगा य एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया नट्टमईए नट्ठसुईए नहसण्णे मूढदिसाभाए जाए वावि होत्था-न जाणइ कवरं देसं वा दिसं वा विदिसं या पोययहणं] अवहिए ति कट्ट तओ ओहयमणसंकप्पे जाव झियामि
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