Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 160
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुयक्रखंघो-१, अन्यपणे-१७ नासाबंधेहि य वालवंधेहिं व खुरबंधेहि य कडगबंधेहि य खलिणबंधेहि य ओवीलणाहि य पडयाणेहि य अंकणाहि य देतप्पहारेहि य लयप्पहारेहि य कसप्पहारेहि य छिवष्पहारेहि य विणयंति विणइत्ता कणकेउस्स रण्णो उवणेति तए णं से कणगकऊ राया ते आसमद्दए सक्कारेइ जाव पडिविसजेइ तए णं ते आता बहूहिं पुहबंधिहि य जाब छिवप्पहारेहि य बहूणि सारीरमाणसाइं दुक्खाई पावेति एवामेव समणाउसो जो अम्हं निगंयो वा [निगंथी वा आयरियउवग्झायणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिय पव्वइए समाणे इवेसु सद्द-फरिस-रसरूव-गंधेसु सजइ रजइ गझइ मुझइ अज्झोववन्झइ से णं इहलोए चेव बहूणे समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावगाणं वहणं साविवाण व हीलणिजे जाव चाउरंतं संसारकंतारं भुजो-भुजो अनुपरियट्टिस्सइ ।१४०।-134 (१८७) कल-रिभिय-महुर-तंती-ताल-वंस-कउहाधिरामेसु सद्देसुरज्जामाणा रमंति सोइंदिय-वसट्टा ||३३||-1 (१८८) सोइंदिय-दुईतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो दिविग-रूयमसहतो वहबंधं तित्तिरो पत्तो 11३४||-2 (१८९) थण-जहण-वयण-कर-चरण-नयण-गब्बिय-विलासयगईसु रूवेसुरजमाणा रमंति चक्खिदिय-वसट्टा ॥३५||-3 (१९०) चक्खिदिय-दुइंतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो जंजलणंपिजलंते पडइ पयंगो अबुद्धीओ ||३६|-4 (१९१) अगरुवर-पवरधूवण-उउयमल्लाणुलेवणविहीसु गंधेसु रज्जमाणा रमंति पाणिदिय-वसट्टा । ।।३७||-5 (१९२) धाणिदिय-दुईतत्तणस्स अह एतिओहवइ दोसो जं ओसहिगंधेणं बिलाओ निद्धाबई उरगो । ||३८||-6 (१९३) तित्त-कडुपं कसायं महुरं बहुखज्ज-पेज-लेज्झेसु आसामि गिद्धारमंति जिटिमदिय-वसट्टा |३९||-7 (१९४) जिटिमदिय-दुद्दतत्तणस अह एत्तिओ हवइ दोसो जंगललग्गुक्खित्तो फुरइ एवविरेलिओ मच्छो 11४०||-8 (१९५) उउ-भयमाणसुहेसु य सविभव-हिययमण-निव्बुइकरेसु फासेसु रज्जमाणा मंति फार्सिदिय-यसट्टा ॥४१||-9 (१९६) फासिंदिव-दुदंतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो जं खणइ मत्थयं कुंजरस लोहंकुसो तिक्खो ॥४२||-10 (१९७) कल-रिभिय-महुर-तंती-तलताल-वंस-कउहाभिरामेस सद्देसुजे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए ४३||-11 (१९८) थण-जहण-वयण-कर-चरण-नयण-गब्विय-विलासियगईसु रूवेसु जे न रत्ता वसट्टपरणं न ते मरए ॥४४|1-12 (१९९) अगरुवर-पवर-धूवण-उउयमल्लाणुलेवणविहीसु गंधेसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए ॥४५11-13 For Private And Personal Use Only

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