Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 135
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नायापम्मकहाओ - 9/-१६/१६५ अज्जाओ तेणेद उवागच्छइ उबागच्छिता गोवालियाओ अजाओ वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामो णं तुमेहिं अब्भणुपणाए चंपाए नयरीए उच्चनीयमज्झिमाई कुत्लाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंधं करेहि तए णं ताओ अजाओ गोवालियाहिं अजाहिं अभणुण्णाया समाणीओ भिक्खायरियं अडमाणीओ सागरदत्तस्स गिह अनुष्पविट्ठाओ तए णं सूमालिया ताओ अजाओ एजमाणीओ पासइ पासित्ता हट्टतुट्ठा आसणाओ अब्भुटेइ वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता विपुलैणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेइ) पडिलाभेत्ता एवं ववासी-एवं खलु अजाओ अहं सागरस्स अणिट्टा [अकंता अप्पिया अमणुण्णा) असणामा नेच्छइ णं सागरए दारए पप नाप [गोयमवि सवणयाए किं पुण सणं वा| परिभोगं वा जस्स-जस्स वि य णं देखामि तस्स-तस्स वि य णं अणिट्ठ! जाव असणामा भवामि तुमे य णं अजाओ बहुनावाओ [बहुसिखियाओ बहुपढियाओ बहूणि गामागर- नगर- खेड- कबडदोणमुह- मइंब- पट्टण-आसम-निगम-संवाह-सण्णि-चेसाई आहिंडह बहूर्ण राईसर जाव सत्यवाहपभिईणं गिहाई अनुपविसह तं अस्थियाई भे अजाओ केइ कहिंचि चुण्णजोए वा मंतजोगे वा कम्मणजोए वा कम्मजोए वा हियउड्डावणे वा काउड्डावणे वा आभिओगिए वा वसीकरणे वा कोउपकप्मे वा भूइकम्मे वा मूले वा कंदे वा छल्ली वल्ली सिलिया वा गुलिया वा ओसहे वा भेसज्जे वा उबलद्धपुग्वेजेणं अहं सागरस्स दारगस्स इट्ठा कंता [पिया मणुण्णा मणापा] भवेज्जामि । तए णं ताओ [अञ्जाओ सूपालियाए एवं वुत्ताओ समाणीओ दोवि कण्णे ठएंति ठएता सूमालियं एवं वयासी-अम्हे णं देवाणुप्पिए समणीओ निगंथीओ जाव गुत्तवंभचारिणी नो खलु कप्पइ अम्हं एयप्पगारं कण्णेहिं वि निसामित्तए किमंग पुण उवदंसित्तए वा आयरित्तए वा अम्हे णं तब देवाणुप्पियए विचित्तं केवलिपनत्तं धम्म परिकहिज्जामो तए णं सा सूमालिया ताओ अजाओ एवं वयासी-इच्छामि णं अञ्जाओ तुमं अंतिए केवलिपत्रतं धर्म निसामितए तए णं ताओ अजाओ सूमालियाए विचित्तं केवत्तिपन्नत्तं धम्म परिकति तए णं सा सूमालिया धर्म सोचा निसम्म हट्ठा एवं वासी-सदहामिणं अजाओ निगंधं पावयणं जाव से जहेयं तुझे वयह इच्छामि णं अहं तुभं अंतिए पंचाणुब्बइयं सत्तसिक्खावइयं-दुवालसविहं गिहिधर्म पडिवजितए अहासुहं देवाणुप्पिए तए णं सा सूमालिया तासिं अजाणं अंतिए पंदाणुव्वइयं जाव गिहिधम्म पडिवाइ ताओ अज्ञाओ वंदइ नमसइ वदित्ता नमंसित्ता पडिविसज्जेइ तए णं सा सूमालिया समणोवासिया जाया समणे निणंथे फासुएणं एसणि णं असण-पाण-साइम-साइमेणं वत्थ- पडिगगह- कंबलपायपुंछणेणं ओसहमेसजेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेना-संधारएणं पडिलाभेमाणी विहरई तए णं तीसे सूमालियाए अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडंबजागरियं जागरमाणीए अयमेयासवे अज्झथिए संकप्पे समुप्पशिस्था-एवं खलु अहं सागरस्स पुग्यि इहा जाव मणामा आसि इयाणिं अणिट्टा जाव अमणामा नेच्छइ णं सागरए मम नामगोयमवि सवणयाए किं पुण दंसणं वा परिभोग वा जस्स-जस्स चि य णं देवाजापि तस्स-तस्स चि यणं अभिट्ठा जाव अमणामा भवामित सेयं खलु ममं गोवालियाणं अजाणं अंतिएपब्वइत्तए एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं पाउपभायाए रयणीए जाव उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयो तेयसाजलंते जेणेव सागरदत्ते तेणेव उवागच्छद उवागछित्ता जाव] एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया मए गोवालियाणं अजाणं अंतिए धम्मे निसंते से वि य मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए For Private And Personal Use Only

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