Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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१३८
नायापप्पकहामो - 91-1१६/१७६ खुई वा पवत्ती वा तएणंता कोंती देवा पंडुणा एवं वुत्ता समाणी जावपडिसुणेइ पडिसुणेत्ता हाया कयबलिकम्मा हत्यिखंधवरगया हस्थिणाउरं नयरं मज्झमज्झेणं निगच्छद निगच्छित्ता कुरुजणवयस्स मझमझेणं जेणेव सुरद्वाजणवए जेणेव बारवई नयरी जेणेव अग्गुजाणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता हत्थिखंधाओ पच्चोरुहइ पच्चोरूहित्ता कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासीगच्छह णं तुटमे देवाणुप्पिया बारवई नयरिं [जेणेव कण्हस्य वासुदेवास गिहे तेणेव] अनुपविसह अनुपविसित्ता कण्हं वासुदेवं करयल [परिगहियं दसनहं सिरसावतं मत्थए अंजलि कट्ट एवं वबह-एवं खलु सामी तुभ पिउच्छा कोंती देवी हस्थिणाउराओ नयराओ इहं हव्यमागया तुव्यं दंसणं कंखइ तएणं ते कोडुबियपुरिसा जाव कहेंति तए णं कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसाणं अंतिए एयमष्ठं सोचा निसम्प हट्ठतुढे हस्थिखंधवरगए बारवईए नयरीए मझमझेणं जेणेव कोंती देवी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता हस्थिखंधाओ पच्चोकहइ पञ्चोसहित्ता कोंतीए देवीए पायग्गहणं करेइ करेत्ता कोंतीए देवीए सद्धिं हत्यिखधंदुरूहइ दुरिहित्ता बारवईए नयरीए मज्झमझेणं जेणेव सए गिहे तेणेब उवागच्छइ उवागच्छित्ता सवं गिहं अनुप्पविसइ तएणं से कण्हे वासुदेवे कोंतिं देविं पहायं कयबलिकम्मं जिमियभुत्तुत्तरागयं वि य णं समाणिं आयंतं चोखं परमसुइभूयं] सुहासणवरगयं एवं ववासी-संदेिसउ णं पिउच्छ किमागमणपओयणं तएणं सा कोंती देवी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु पुत्ता हस्थिणाउरे नयरे जुहिट्ठिलस्स रगणो आगासतलए सुहण्यसुत्तस्स पासाओ दोवई देवी न नाइ केणइ अवहिया निया अविक्खित्ता या तं इच्छामि णं पुत्ता दोबईए देवीए सचओ समंता मागण-गवेसणं कयं
तएणं से कण्हे वासुदेवे कोंति पिउच्छं एवं वयासी-जं नवरं-पिउच्छा दोवईए देवीए कत्थइ सुई वा खुइं या पत्तिं वा] लभामि तो णं अहं पायलााओ वा भवणाओ वा अद्धभरहाओ वा समंतओ दोवइ देविं साहत्थिं उवणेपि त्ति कट्ट कोति पिउच्छं सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेता पडिविसज्जेइ तए णं सा कोंती देवी कण्हेणं वासुदेवेणं पडिविसजिया समाणी जामेव दिसिं पाउभूया तामेव दिसि पडिगया तए णं से कण्हे वासुदेवे कोइंयियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुटभे देवाणुप्पिया बारवईए [नयरीए सिंघाडग- जाव पहेसु पहया-महया सद्देणं उग्धोसेमाणा-उग्धोसेसाणा एवं वयह-एवं खलु देवाणुप्पिया जुहिद्वितस्स रण्णो आगासतलगंसि सुहपसुत्तस्स पासाओ दोवई देवी न नजइ केणइ देवेण वा जाव गंधव्वेण वा हिया वा निया या अवविखत्ता वा तं जो णं देवाणुप्पिया दोवईए देवीए सइंवा खुइं वा पवत्ति वा परिकहेइ तस्स णं कण्हे वासदेवे विउलं अस्थसंपयाणं दलयइ ति कट्ट घोसणं धोसावेह धोसावेत्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह तए णं ते कोडुंबियपुरिसा जाव] पच्चप्पिणंति तए णं से कण्हे वासुदेवे अण्णया अंतोते उरगए ओरोह-संपरिवुडे सीहासण वरगए विहरइ इमं चणं कछुल्लनारए जाव झति-वेगेण समोवइए !तएणं से कण्हे वासुदेवे कच्छुल्लनारयं एन्नमाणं पासइ पासित्ता आसणाओ अदभुट्टेइ अब्भुदे॒त्ता अग्धेणं पजेणं आसणेणं उवनिमंतेइ तए णं कछुल्लनारए उदगपरिफोसियाए दभोवरिपच्चत्थुयाए भिसियाए निसीयइ] निसीइत्ता कण्हं वासुदेवं कुसलोदंतं पुच्छइ तए णं से कण्हे वासुदेवे कच्छुलनारयं एवं वयासी-तुमं णं देवाणुप्पिया बहूणि गासागर- [नगर- खेडकव्वड-दोणमुह-मइंव-पट्टण-आसम-निगम-संबाह सणिवेसाइं आहिंडसि बहूण य राईसर- जाव सस्यवाहपभिईणं गिहाई] अनुपविससि तं अस्थियाई ते कहिचि दोबईए देवीए सुई या खुई वा
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