Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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१२२
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नामाधय्मकहाओ - १/-/१६/१६२
अट्टेत्ता आसणेणं उवनिमंतेइ उवनिमंतेत्ता आसत्यं वीसत्यं सुहास -
आसणाओ अ बरगयं एवं वयासी-मण देवाणुप्पिया किमागमणपओयणं
तए णं से जिणदत्ते सागरदत्तं एवं व्यासी एवं खलु अहं देवाणुप्पिया तव धूयं भद्दाए अत्तियं सूमालियं सागरस्स भारियत्ताए बरेमि जइ णं जाणह देवाणुप्पिया जुत्तं वा पत्तं वा सलाहणिज्जं वा सरिसो वा संजोगो ता दिज्जउ णं सूमालिया सागरदारगस्स तए णं देवाणुप्पिया भण किं दत्लयामो सुकं सूमालियाए तए णं से सागरदत्ते सत्यवाहे जिणदत्तं सत्यवाहं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया सूमालिया दारिया एगा एगजाया इट्ठा [ कंता पिया मणुष्णा मणामा जाव उंबरपुष्कं व दुलहा सवणयाए किमंग पुणे पासणयाए तं नो खलु अहं इच्छामि सूमालियाए दारियाए खणमवि विप्पओगं] तं जइ णं देवाणुप्पिया सागरए दारए मम घरजामाउए भवइ तो णं अहं सागरस्स सूमालियं दत्तयामि तए णं से जिणदत्ते सत्थवाहे सागरदत्तेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ते समाणे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिता सागरगं दाएगं सहावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी एवं खलु पुत्ता सागरदत्ते सत्थवाहे ममं एवं क्यासी एवं खलु देवाणुभिया सूमालिया दारिया इट्ठा [कंता पिया पण्णा मणामा जाव उंबरपुष्कं व दुल्लहा सवणयाए किमंग पुणे पासणयाए तं नो खलु अहं इच्छामि सूमालियाए दारियाए खणमवि विप्पओगं] तं जइ णं सागरए दारए मम घरजामाउए भव तो णं दलयामि तए से सागरए दारए जिणदत्तेणं सत्यवाहेणं एवं बुत्ते समाणे तुसिणीए तए णं जिणदत्ते सत्यवाहे अन्नया कयाइ सोहणंसि तिहि करण- नक्खत्त-मुहुंत्तसि विपुलं असण- पाणखाइम- साइमं उबक्खडावेइ उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ -[ नियग-सयण-संबंधि-परियण] आमंतेइ जा सक्कारेत्ता सम्मणेत्ता सागरं दारगं व्हायं जाव सव्वालंकारविभुसियं करेइ करेता पुरिससहस्सवाहिणीयं सीयं दुरूहावेइ मित्त-नाइ - जाव परिवुडे सव्विड्ढीए सचाओ गिहाओ निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता चंपं नवरिं मज्झमझेणं जेणेव सागरदत्तस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सीयाओ पचोरूह पचोरूहिता सागरगं दारगं सागरदत्तस्स सत्यवाहस्स उवणेइ तए णं से सागरदत्ते सत्वा विपुलं असण-पाण- साइम-खाइमं उबक्खडावेइ उवक्खडावेत्ता जाव सम्मात्ता सागरगं दारगं सूमालियाए दारियाए सद्धिं पट्टवं दुरूहावे दुखहावेत्ता सेयापीएहिं कलसेहिं जावेद मज्जावेत्ता अग्गिहोम करावेइ करावेत्ता सागरगं दारयं सूमालियए दारिचाए पाणि रहावेइ 1११६/- 110
( १६३ ) तए णं सागरए सूमालियाए दारियाए इमं एयारूवं पाणिफासं पडिसंवेदेई से जहानामए-असिपत्ते इ वा [करपते इ वा खुरपत्ते इ वा कलंबचीरिंगा पत्ते इ वा सत्तिआगे इवा कोइया तोमरागेइ वा भिडिपालग्गे इ वा सूचिकलाबए इ वा विच्छुयडंके इ वा कविकच्छू इ या इंगाले इ वा मुम्मुरे इ वा अच्ची इ वा जाले इ वा अलाए इ वा सुद्धागणी इ वा भवे एयारूये नो इस एतो अणिट्टतराए चेव अकंततराए चेव अप्पियतराए चेव अमगुण्णतराए चेव अमणामतराए चेव] पाणिफासं सेवंदेइ तए णं से सागरए अकामए अवसवसे मुहुत्तमेत्तं संचिद्रुइ तए णं सागरदत्ते सत्थचाहे सागरस्त अम्मापियरो मित्त-नाइ - नियग-सयण-संबंधि-परियणं विyलेणं असण-पाण- खाइम साइमं पुष्फ[वत्थ-गंधमल्लालंकारेणं य सक्कारेत्ता ] सम्माणेता पडिविसज्जेइ तए णं सागरए सूमालियाए सद्धिं जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सूमालियाए दारियाए सद्धिं तलिमंसि निवज्जइ तए णं से सागरए दारए सूमालियाए दारिचाए इम
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