Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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११६
नायाधम्पकहामओ - 91-1१५/१५७ तंजोणं देवाणुप्पिया तेसि नंदिफलाणं रुक्खाणं मूलाणि या कंदाणि वा तयाणि वा पत्ताणि वा पुष्पाणि वा फलाणि वा बीयाणि वा हरियाणि वा आहारेइ छायाए वा वीसमइ तस्स णं आवाए भद्दए भवइ तओ पच्छा परिणममाणा-परिणममाणा अकाले चेव जीवियाओ ववरोति तं मा णं देवाणुप्पिया केइ तेसिं नंदिफलाणं मूलाणि वाजाद हरियाणि वा आहरउ छायाए वा बीसमउ माणं से वि अकाले चेव जीवियाओ ववरोविधिस्सउ तुम्भे णं देवाणुप्पिया अन्नेसिं रुक्खाणं मूलाणि य जाब हरियाणि य आहारेह छाचासु वीसमह त्ति घोसणं घोसेह घोसेत्ता मम एयमाणत्तिय पञ्चप्पिजह से वितहेव घोसणं घोसेत्ता तपाणत्तिय पञ्चप्पिणति तएणं घणे सत्यवाहे सगडी-सागडं जोएइ जोएत्ता जेणेव नंदिफला रुक्खा तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता तेसिं नंदिफलाणं अदूरसामंते सत्यनिवेसं करेइ करेत्ता दोच्चंपि तचंपि कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी तुझे णं देवाणुप्पिया मम सत्यनिवेसंसि महया-महया सद्देणं उग्धोसेमाणा-उग्धोसेमाणा एवं वयह-एए णं देवाणुप्पिया ते नंदिफला रुक्खा किण्हा जाव मण्णा छायाएतं सो णं देवाणुप्पिया एएसि नंदिफलाणं रूखाणं मूलाणि वा कंदाणि वा तयाणि वा पत्ताणि वा पुष्पाणि वा फलाणि वा बीयाणि वा हरियाणि वा आहारे जाव अकाले चेव जीवियाओ ववरोवेइ तं मा णं तुम्भे तेसिं नंदिफलाणं मूलाणि वा जाव आहारेइ छायाए वा वीसमह मा णं अकाले चेव जीवियाओ ववरोदिजिस्सह अन्नेसि रुक्खाणं मूताणि च जाव आहारह छायाए व वीसमह ति कट्ट घोसणं घोसेह घोसेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह ते वि तहेव घोसणं घोसेत्ता तमाणत्तिय पचप्पिणंति तत्य णं अत्येगइया पुरिसा घणस्स सत्यवाहस्स एयपटुं सद्दहति पत्तियंति रोयंति एयपटुं सद्दहमाणा पत्तियमाणा रोयमाणा तेसिं नंदिफलाणं दूरंदूरेणं परिहरमाणा-परिहरमाणा अण्णेसिं रुक्खाणं मूलाणि य जाय आहारंति छायासु वीसमंति तेसि णं आवाह नो भद्दए भवइ तओ पच्छा परिणममाणा- परिणममाणा सुभरूयत्ताए [सुभगंधत्ताए सुपरतत्ताए सुभफासत्ताए सुभछापत्ताए] भुजो-भुज्जो परिणमंति एवामेव समणाउसो जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंधी वा आयरिय-उपचापाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए समाणे] पंचसु कामगुणेसु नो सजइ नो रज्जइ नो गिज्झइनो मुज्झइ नो अग्झोववज्जइ से णं इहमवे चैव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं वहूर्ण सावगाणं बहूणं साबियाणं य अचणिज्जे भवइ परलोए (वि य णं नो बहूणि हत्थायणाणि य कण्णछेयणाणि य नासाछेयणाणि य एवं-हिययउप्पायणाणि य वसणुप्पायणाणि उल्लंवणाणि य पाविहिइ पुणो अणाइयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरतं संसारकतारं] वीईवस्सइ-जहा व ते पुरिसा तत्य णं अप्पेगइया पुरिसा घणस्स एयमटुं नो सद्दहति नो पत्तियति नो रोयंति घणस्स एयमद्वं असद्दहमाणा अपत्तियमाणा अरोयमाणा जेणेव ते नंदिफला तेणेव उवागचंति उवागच्छित्ता तेसिं नंदिफलाणं मूलाणि य जाव आहारंतिछायासु वीसमंति तेसि णं आहावए भद्दए भवइ तओ पच्छा परिणममाणा-परिणममाणा अकाले चेव जीवियाओ] ववरोवेति एवामेवं समणाउसो जो अहं निग्गंथो वा निगंथी वा आयरिय-उववज्झायाणं अंतिए मुंडे भविता अगारओ अणगारियं पव्वइए समणे पंचसु कामगुणेसु सञ्जइ [रज्जइ गिज्झइ मुन्झइ अन्झोववजइ सेणं इहभवे जाव अणादियं च णं अणक्यागं दीहमद्धं संसारकंतारं भुजो-मुजो] अनुपरियट्टिस्सइ-जहा व ते पुरिसा तए णं से घणे सत्यवाहे सगडी-सागडं जोयावेइ जोयावेत्ता जेणेव अहिच्छत्ता नयरी तेणेव उवांगच्छइ उवागछिन्ता अहिच्छताए नयरीए वहिया अगुजाणे सत्यनिवेसं करेइ करेत्ता सगडी-सागडं पेयावेइ
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