Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
११०
नायाषष्पकहाओ - 91-19४/१५१ ओगिपहंति ओगिहित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं मावेमाणीओ विहरति तए णं तासि सुब्बयाणं अज्ञाणं एगे संघाइए पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ (बीयाए पोरिसीए झाणं झियाई तइयाए पोरिसीए अतुरियमचवलमसंभंते मुहपोत्तियं पडिलेहेइ भायणवत्याणि पडिलेहेइ मायणाणि पमजेइ भायणाणि ओग्गाहेइ जेणेव सुव्वयाओ अजाओ तेणेव उवागच्छइ सुव्वयाओ अजाओ वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं व्यासी-इच्छामो णं तुब्भेहि अभणुण्णाए तेयलीपुरे नयरे उच्चनीय-मन्झिमाई कुलाइंघरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए अहासुहंदेवाणुप्पिया मा पडिबंध करेहि तए णं ताओ अजाओ सुव्वयाहिं अजाहिं अभणुण्णाया समाणीओ सुव्ववाणं अजाणं अंतियाओ पडिस्सयाओ पडिनिक्खमंति पडिनिक्खमित्ता अतुरियमचवलमसंभंताए गतीए जुगंतरपलोयगाए दिट्ठीए पुरओ रिय सोहेमाणीओ तेयलीपुरे नयरे उच्च-नीय-मन्झिमाइंकुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियं] अडमाणीओ तेयलिस्स गिहं अनुपविट्ठाओ
तए णं सा पोट्टिला ताओ अज्जाओ एजमाणीओ पासइ पासित्ता हहुतुट्ठा आसणाओ अमुढेइ वंदइ नमसइ पंदित्ता नमंसित्ता विपुलेणं असण-पाण-खाइमसाइमेणं पडिलाइ पडिलाभेत्ता एवं वासी-एव खलु अहं अज्जाओ तेपलिपुत्तस्स अमञ्चस्स पुल्वि इट्टा कंता पिया मणुण्णा मणामा आसि इयाणि अणिट्ठा [जाव अमणामा जाया नेच्छइ णं तेयलीपुत्ते मम नामगोयमवि सवणयाए किं पुण) सणं वा परिभोगं वा तं तुडभे णं अजाओ बहुनायाओ बहुसिखियाओ वहुपढियाओ बहूणि गापागर-निगर-खेड-कब्बड-दोणमुह-मडंब-पट्टण-आसम-निगम-संवाह-सण्णिवेसाइं] आहिंडह बहूणं राईसर- तलवर-माइंबिय-कोइंबिय इन्भे सेवि सेणावइ सत्यवाहपभिईणं| गिहाई अनुपविसह तं अत्थियाई अजाओ केइ कहिंचि चुण्णजोए वा मंतजोगे वा कम्पणजोए वा कम्मजोए वा हियउट्टावणे वा काउट्टावणे वा आभिओगिए वा वसीकरणे या कोउयकम्मे वा भूइकम्मे वा मूले वा कंदे वाछल्ली वल्ली सिलिया वा गुलिया वा ओसहे या भेसने वा उवलद्धपुब्वे जेणाहं तेयलिपुत्तस्स पुणरवि इट्टा कंता पिया मणुण्णा मणामा भवेज्ञामि तए णं ताओ अजाओ पोट्टिलाए एवं वुत्ताओ समाणीओ दोवि कण्णे ठएंति ठवेत्ता पोट्टिलं एवं बयासी अम्हे णं देवाणुप्पिया समणीओ निगंधीओ जाव गुत्तबंधचारिणीओ नी खल कप्पइ अम्हं एयप्पगारं कण्णेहिं वि निसामित्तए किमंग पुण उवदंसित्तए वा आयरितए वा अहे णं तव देवाणुप्पिए विचित्तं केवलिपनत्तं धनं परिकहिज्जामो तए णं सा पोहिला ताओ अजाओ एवं वयासी-इच्छामि णं अनाओ तुडभं अंतिए केवलिपन्नत्तं धमं निसामित्तए तए णं ताओ अनाओ पोहिलाए विचित्तं केवलिपनत्तं धम्म परिकहेंति तए णं सा पोट्टिला धम्मं सोचा निसम्म हट्ठा एवं वयासी-सद्दहामि णं अजाओ निग्गंथं पावयणं जाव से जहेयं तुब्मे वयह इच्छामिणं अहं तुब्धं अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं-दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवजित्तए अहासुहं देवाणुप्पिए तए णं सा पोट्टिला तासिं अजाणं अंतिए पंचाणुब्बइयं जाव गिहिधम्म पडिवाइ ताओ अजाओ वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता पडिविसज्जेइ तए णं सा पोट्टिला समणोवासिया जाया जाव [समणे निग्गंथे फासुएणं एसणिज्जेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं औसहभेसजेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएण) पडिलाभेमापी विहरइ।१०५।-90
(१५२) तए णं तीसे पोहिलाए अण्णया कचाइ पुग्यरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे अज्झस्थिए चिंतिए पस्थिए मणोगए संकप्पे समुपञ्जित्था एवं खलु अहं
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182