Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुपखंयो-१, अमायण-२ अधण्णा अपुण्णा अकयव- लक्खणा एत्तो एगमवि न पत्ता तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया तुब्बेहि अव्यणुण्णाया समाणी विपुलं असणं [पाणं खाइमं साइमं उक्खडावेत्ता जाव अक्खयनिहिं च अनुवड्डेमि उवाइयं करितए तए णं धणे सत्यवाहे मई मारियं एवं बयासी-मम पि य णं देवाणुप्पिए एस चेव मनोरहे-कहं णं तुमं दारगं वा दारियं वा पयाएजासि-भद्दाए सत्यवाहीए एयमहूं अनुजाणइ तए णं सा भद्दा सस्थवाही धणेणं सत्थयाहेणं अब्भणुण्णाया सपाणी हतु-चित्तमाणंदिया जाय हरिसवस-विसप्पपाण-हियय विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं उववखडावेइ उवक्खडावेत्ता सुबहुं पुष्फ-वस्थ-गंधमल्लालंकार गेण्हइ गेण्डित्ता सयाओ गिहाओ निगच्छइ निगछित्ता रायगिह नयरं मझमझेणं निगच्छिइ निग्गच्छित्ता जेणेव पोकखरिणी तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता पुक्खरिणीए तीरे सुबह पुष्फ-वत्य-गंध]-मल्लालंकारं ठवेइ ठयेत्ता पुक्खरिणि ओगाहेइ ओगाहित्ता जलमजणं करेइ करेत्ता जलकीडं करेइ करेत्ता हाया कयवलिकम्पा उल्लपडसाडिगा जाई तत्थ उप्पलाई [पउमाई कुमुयाई नलिणाई सुभगाई सोगंधियाई पोंडरीयाई महापोंडरीयाई सयवत्ताइं] सहस्सपत्ताई ताई गिण्हइ गिण्हित्ता पुखरिणीओ पच्चोरूहइ पबोरुहिता तं पुप्फ-वत्थ-गंध-मलं पल्लालंकारं गेण्हइ गेण्हित्ता जेणामेव नागरधरए य जाव वेसपणधरए य तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तत्थ णं नागपडिमाण य जाव वेसमणपडिमाण य आलोए पणामं करेइ इंसिं पञ्चुण्णमइ पषुण्णमित्ता लोमहत्यग परामुसइपरामुसित्ता नागपडिपाओ व जाव वेसमणपडिमाओ य लोमहत्थएणं पपज्जइ पमजित्ता उदगधाराए अभुक्खेइ अब्भुक्खेत्ता पम्हल-सूमालाए गंधकासाईए गायाई लूहेइ लूहेत्ता महरिहं वस्थारुहणं च मल्लारुहणं च गंधारुहणं च करेइ करेत्ता धूर्व डहइ डहिता जनुपायपडिया पंजलिउडा एवं ववासी-जइणं अहं दारगं वा दारियं या पयामि तो णं अहंजापंचादायं च मायं च अक्खयनिहिं च अनुवड्डेमि त्ति कट्ट उवाइयं कोइ करेत्ता जेणेव पोखरिणी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तं विपुलं असणपाण खाइम साइमं आसाएमाणी विसाएमाणी परिभाएमाणी परिभुजेमाणी एवं च ण) विहरइ जिमिय [भुत्तुत्तरागया वि य णं समाणा आयंता चोक्खा परम सुइभूया जेणेव सए गिहे तेणेव उवागया अदुत्तरं च णं भद्दा सत्यवाहचाउद्द- सट्टमुद्दिद्वपुन्नमासिणीसु विपुलं असण- पाणखाइम-साइमं उवक्खडेइ उवखडेत्ता बहवे नागा य जाव वेसमणा य उवायमाणी नमसमाणी जाब एवं च णं बिहाइ।४१136 (४७) तए णं भद्दा सत्यवाही अण्णया कयाइ केणइ कालंतरेणं आवण्णसत्ता जावा यादि होत्या तए णं तीसे भद्दाए सत्यवाहीए तस्स गम्भस्स दोसु मासेसु वीइकूकंतेसु तइए पासे वहमाणे इमेयारूवे दोहले पाउभूए-धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव कयलक्खणाओ गं ताओ अम्मयाओ जाओ णं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं सुबहुवं पुष्फ-वस्य-गंध-मल्लालंकारं गहाय मित्तनाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियण-महिलियहि सद्धि संपरिवडाओ रायगिहं नयां सज्झमज्झेणं निगगळंति निग्गछित्ता जेणेव पुक्खारिणी तेणेव उवागच्छंति उवागछित्ता पोखरिणिं ओगहेंति ओगाहित्ता पहायाओ कयबलिकम्माओ सव्यालंकार-विभूसियाओ विपुलं असणं पाणं खाइम साइमं आसाएमाणीओ विसाएमाणीओ परिभाएमाणीओ] परिभुंजेमाणीओ दोहलं विणेति-एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कलं पाउप्पमाए रयणीए जाव उद्वियस्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते जेणेव धणे सत्यवाहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता धणं सत्यवाहं एवं वयासी-एवं खलु For Private And Personal Use Only

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