Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 81
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ७२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नायाधम्मकहाओ - १/१८/८७ पासामी त्ति कट्टु ताहिं सोमाहिं निद्दाहिं दीहाहिं सप्पिवासहिं पप्पुपाहिं दिलीहिं निरिक्खमाणा मुहुत्तमेत्तं संचिट्ठेति तओ समाणिएसु पुष्फबलकम्मेसु दिन्नेसु सरस- रत्त- चंदण - दद्दर- पंचगुलितलेसु अनुक्तंसि धूवंसि पूइएस समुद्दवाएस संसारियासु बलयासु ऊसिएसु सिएस झयागेसु पहुप्पवाइएसु तूरेसु जइएस सव्यसउणेसु गहिएषु रायवरसासणेसु महया उकिकट्ट- सीहनाय[बोल-कलकल] वेणं पक्खुभिय- महासमुद्द-रवभूयं पिव मेइणिं करेमाणा एगिदिं [एगामिमुहा अरहणगपामोखा संजत्ता- नावा] - वाणियगा नावाए दुरूढा तओ पुस्समाणवो वक्कमुदाहु-हे भो सच्चेसिमेव मे अत्यसिद्धी उवट्टियाई कल्लाणाई पडिगहयाई सव्वपावाई जुत्तो पूसो चिजओ मुहुत्तो अयं देसकाली ताओ पुस्समाणवेणं वक्कमुदाहिए हडतुडा कण्णधार - कुछिधारगभिज्ज-संजत्ता नावावाणियगा वाया-रिसुं तं नावं पुत्रच्छंगं पुत्रमुहिं बंधणेहिंतो मुंचति तए णं सा नावाविमुकबंधापर्वणबल - समाहया ऊसियसिया विततपक्खा इव गरुलजुवई गंगासलिलतिकूख- सोयवेगेहिं संखुब्ममाणी- संखुरममाणी उम्मी-तरंग - मालासहस्साई समइच्छमाणी- समइच्छमाणी कइवएहिं अहोरत्तेहिं लवणसमुद्दे अणेगाई जोयणसयाई ओगाढा तए णं तेसिं अरहण्णगपामोक्खाणं संजत्ता नावावाणियगाणं लवणसमुद्द अणेगाई जोयणसयाई ओगाढाणं समाणाणं बहूई उप्पाइयसबाई पाउब्यूयाई तं जहा अकाले गज्झिए अकाले विजुए अकाले थणियसद्दे अभिक्खणं- अभिक्खणं आगासे देवयाओ नच्चंति तए णं ते अरहण्णगवज्जा संजत्ता नावावाणियगा एगं च णं महं तालपिसायं पासंतितालजंधं दिवंगयाहिं वाहाहिं फुट्टसिरं भमर - निगर- वरमासरासि महिसकालगं भरिय- मेहवण्णं पण फास-सरिस-जीहं लंबोदुं धवलवट्ट- असिलिद्धतिक्खधिर - पीण- कुडिल- दाढोवगूढवण - बांवकोसिय-धारसिजुयल- समसरिस - तणुय चंचल-गलतरसलोल-चवल-फुरुफुरेंत - निल्लालियग जीहं अवयत्प्रिय-महल्ल - विगय-बीभच्छ लालपगलंत-रत्ततालुयं हिंगुलय-सगप-कंदरबिलं व अंजणगिरिस्स अग्गिज्जालुग्गिलंतवयणं आऊसिया- अक्खचम्पउ- इट्ठगंडदेसं चीण- चिमिद - वंक-भग्गनासं रोसागय-धमधमेंत पारुय निडुर-खर- फसझुसिरं ओभुग्ग- नासियपुडं धाडुटमडरइय-भीसणमुहं उद्धमुहकण्णसक्कुलिय-महंतविगय- लोपसंखा-लग लवंत-चलियकण्णं पिंगलदिप्पंतलोयणं मिउडि-तडिनिडालं नरसिरमाल - परिणद्धचिंधं विचित्तगोणस- सुबद्धपरिकरं अवहोलंत - फुप्फुयाचंत-सप्प-विच्छुय- गोधुंदुर-नउल-सरड- विरइय- विचित्त-वेयच्छामलियागं भोगकूर-कण्हलप्प-धमधर्मेत-लंबत कण्णपूरं मज्जार - सियाललइयखंधं दित्त- घुघुयंत- धूय- कबमुंभरसिरं घंटारबेणं मीम - मयंकरं कायर जणहिययफोडणं दित्तं अट्टहासं विणिम्यंत वसारुहिर-पू- मंस-मल-मणि-पोचडतणुं उत्तासणयं विसालवच्छं पेच्छत्ता भिन्ननखमुह-नयणकण्णं बरवन्ध-चित्त- कत्ती-नियंसणं सरस- रुहिर अणिट्ट- असुभ अप्पिय- अनंत-वागूहि य तज्जयंतं-तं तालपिसायरूवं एजमाणं पासंति पासिता भीया [ तत्था तसिया उब्विग्गा) संजायभया अन्नमणस्स कायं समतुरंगेमाणा-समतुरंगेमाणा बहूणं इंदाणं य खंदाणं व रूद्दाणं य शिवाण य वेसमणाणं य नागाण य भूयाण य जक्खाण य अज कोट्टकिरियाण य बहूणि उवाइयसयाणि उचाइमाणा चिति तणं से अरहण समणोवासए तं दिव्वं पिसायरूवं एजमाणं पासइ पासित्ता अभीए अनत्ये अचलिए असंमंते अगाउले अनुव्विग्गे अभिण्णमुद्धरागन्यणवण्णे अदीण-विमण-माणसे For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182