Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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७८
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नायापम्पकहाओ - १/-/८/११
कन्नाए पायगुट्टाणुसारेणं सरिसगं सरित्तयं सरिव्वयं सरिसलावण्ण-रूव-जोव्वण] गुणोववेयं रूवं निव्यत्तित्तए - एवं संपेइ संपेहेता भूमिभागं सज्जेइ सजेता मल्लीए विदेहरायवरकन्नाए पायंगुड्डासारेणं सरिसगं जाव रूवं निव्वत्तेइ तए णं सा चित्तगर- सेणी चित्तसमं हाव-भाव जाव चित्तेइ चित्तेत्ता जेणेव मल्लदिने कुमारे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिगइ
तए णं से मलदिने कुमारे चित्तगा सेणि सक्कारेइ सम्माइ सक्कारेत्ता सम्पाणेत्ता विपुलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयइ दलइत्ता पडिविसजेइ तए णं से मल्लदित्रे कुमारे पहाए अंतेडरपरियाल - संपरिवुडे अम्मधाईए सद्धिं जेणेव चित्तसभा तेणेव उवागच्छइ उवागन्छिता चित्तसभं अनुष्पविसइ अनुपविसित्ता हाव-भाव-विलास विब्बोयकलियाई रुवाई पासमाणे-पासमाणे जेणेव मल्लीए विदेहरायवरकन्नाए तयागुरूवे रूवे निव्वत्तिए तेणेव पहारेत्य गमणाए तए णं से मलदित्रे कुमारे मल्लीए विदेहरायवरकन्नाए तयाणुरूवे रूवं निव्वत्तियं पासइ पासिता इमेचारुवे अज्झत्थिए जाव समुप्यञ्जित्था - एस णं मल्ली विदेहरायवरकत्रे त्ति कट्टु लजिए विलिए बेड्डे सणियंसणियं पञ्चसक्कइ तए णं तं मल्लदित्रं कुमारं अम्मधाई सणियं-सणियं पञ्चोसकूर्कतं पासित्ता एवं वयासी- किष्णं तुमं पुत्तां लखिए विलिए वेडे सणियं-सणियं पञ्चोक्कसि तए णं से मल्लदिने कुमारे अम्मधाई एवं वयासी जुत्तं णं अम्मो मम जेट्टाए भगिणीए गुरु-वेदयभूवाए लज्जणिज्जाए मम चित्तसमं अनुपविशित्तए तए णं अम्मधाई मल्लदिनं कुमारं एवं व्यासी- नो खलु पुत्ता एस मल्ली विदेहरायवरकन्ना एस णं मल्लीए विदेहरायवरकन्नाए चित्तगरएणं तयाणुरूवे रूवे निव्वत्तिए तए णं से मल्लदिने कुमारे अम्मधाईए एयम सोचा निसम्मं आसुरुते एवं व्यासी केस गंभी से चित्तारए अपत्थिय | पत्थए दुरंत-पंत-लक्खणे हीणपुण्णचाउहसिए सिरि-हिरि - धिइ-कित्ति-परिवञ्जिए जे
म जेट्टाए भगिणीए गुरु- देवयभूयाए लञ्जणिजाए मम चित्तसभाए तवाणुरू रू निव्वत्तिए त्ति कट्टु तं चित्तगरं वज्झं आणवेइ
तए णं सा चित्तगर - सेणी इमीसे कहाए लद्धड्डा समाणा जेणेव मल्लदिने कुमारे तेणेव उवागच्छइ उचागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं [ सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु जएणं विजएणं बद्धावे ] बद्धावेत्ता एवं बयासी एवं खलु सामी तरस चित्तगरस्स इमेयारूवा चित्तगर-लद्धी लद्धा पत्ता अभिसमण्णागया-जस्स णं दुपयस्स था [चउप्पयस्स वा अपयस्स वा एगदेसमवि पासइ तस्स णं देसानुसारेणं तथाणुरूवे रूवं ] निव्वत्तेइ तं मा णं सामी तुम्भे तं चित्तगरं वज्झं आणवेह तं तुम्मे णं सामी तस्स वित्तगररस अण्णं तयाणुरूवं दंडं निव्वत्तेहं तए णं से मल्लदिने कुमारे तस्स चित्तगरस्स संडासगं छिंदावेइ छिंदावेत्ता निव्विसचं आणवेइ तए णं से चित्तगरे मल्लदित्रेणं कुमारेणं निव्विसए आणत्ते समाणे सभंडमत्तो वगरणमायाए महिलाओ नयरीओ निक्खमइ निक्खमित्ता विदेहस्स जणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव कुरुजणवए जेणेव हत्थिणाउरे नयरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता मंडनिक्खेवं करेइ करेत्ता चित्तफलगं सज्जेइ सचेत्ता मल्लीए विदेहरायवरकन्नाए पायंगुळाणुसारेण रूवं निव्वत्तेइ निव्वत्तेत्ता कक्अंतरसि छुटभई छुमित्ता महत्यं जाव पाहुडं गेहइ गण्हिता हस्प्रिणाउरस्स नयरस्स मज्झमज्झेणं जेणेव अदीणसत्तूं राया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता करयल जाय बद्धावेइ बद्धावेत्ता पाहुडं उवणेइ उवणेता एवं वयासी एवं खलु अहं सामी मिहिलाओ यहाणी ओ कुंभगस्स रण्णो पुत्तेण पभावईए देवीए अत्तएणं मल्लदिनेणं कुमारेणं निव्चिसए आणत्ते समाणे इहं हव्वमागए तं इच्छामि णं सामी तुब्धं बाहुच्छाया-परिग्ाहिए जाव परिवसित्तए
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