Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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नायायपकहामओ - १/-14/१०९ नाणीणं पप्पतीसं सया वेउब्बियाणं अट्ठसया मणपञ्जवनाणीणं चोइससया वाईणं वीसं सया अनुत्तरोववाइयाणं मल्लिस्सणं अरहओ दुविहा अंतकरभूमी होत्या तं जहा-जुगंतकरभूमी परिया. यंतकरभूमी य जाव वीसइमाओ पुरिसजुगाओ जुगंतकरभूमी दुवासपरियाए अंतमकासी मल्ली णं
अरहा पणुवीसं धणूइं उड़दं उच्चतेणं वण्णेणं पियंगसामे समचउरंससंठाणे वञ्जरिस- हनारायसंघयणे मज्झेदेसे सुहंसुहेणं विहरित्ता जेणेव सम्मेए पवए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सम्मेयसेलसिहरे पाओवगमणंणुवत्रे मल्ली णं अरहा एगं वाससयं अगाएवासमझे पणपणं वाससहस्साइं वाससयऊणाई केवलिपरियागं पाउणित्ता पणपत्रं वाससहस्साइंसव्वाउयं पालइत्ता जे से गिम्हाणं पढमे मासे दोन्ने पक्खे चेत्तसुद्धे तस्स णं चेत्तसुद्धस्स चउत्थीए पक्खेणं भरणीए नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं अद्धरत्तकालसमयंसि पंचहिं अज्जियासएहि-अभितरियाए परिसाए पंचहि अणगारसएहिं-बाहिरियाए परिसाए मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं वाधारियपाणी पाए साहटु खीणे वेयणिज्जे आउए नापगोए सिद्ध एवं परिनिव्याणमहिमा भाणियव्या जहा जंबुद्दीवपन्नत्तीए नंदीसरे अट्ठाहियाओ पडिगयाओ एवं खलु जंयू समणेणं भगयया महावीरेणं अट्ठमस्स नायज्झवणस्स अयमढे पन्नत्ते त्ति रेमि ।८४/-78
• पठमे सुयक्खंघे अट्ठभं अज्झयणं समतं.
नवमं अज्झयणं-मायंदी (११०) जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते नवमस्स णं पंते नायन्झयणस्स के अद्वे पन्नत्ते एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेमं समएणं चंपा नामं नयरी पुत्रभद्दे चेइए तत्थ णं मायंदी नाम सत्यवाहे परिवसइ-अड्ढे तस्सणं भद्दा नामं भारिया तीसे णं भद्दाए अत्तया दुवे सत्थावाहदारया होत्या तं जहा-जिणपालिए य जिणरक्खिए य तएणं तेसिं मागंदिय-दारगाणं अण्णया कयाइ एगयओ सहियाणं इमेयारूचे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था-एवं खलु अम्हे लवणसमुदं पोयवहणेणं एक्कारसवाराओ ओगाढा सव्वस्थ वि य णं लद्धवा कयका अणहसमग्गा पुणरवि नियघरं हब्बमागया तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया दुवालसपि लवणसमुदं पोयवहणेणं ओगाहित्तए ति कट्ट अण्णमण्णस्स एयमटुं पडिसुणेति पडिसुणेत्ता जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता एवं वयासी एवं खलु अम्हे अम्मयाओ लवणसमुदं पोयवहणेणं एक्कारसबाराओ [ओगाढा सव्वत्य वि व ण वट्ठा कयकजा अगहसमग्गा पुणरवि नियधरं हव्वमागया तं इच्छामो णं अम्मयाओ तुडभेहिं अमगुण्णाया समाणा दुवालसपि लवणसमुदं पोयवहणेणं ओगाहित्तए तए णं ते मागंदिय-दारए अपमापियरो एवं वयासी-इसे भे जाया अन्झय-[पज्जय-पिउपजयागए सुबहु हिरण्णे य सुवण्णे य कंसे य दूसे य मणिमोत्तिय संख-सिल-प्पवाल-रत्तरयण-संतसार-सावएज्जे य अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पगामं दाउं पगामं भोत्तुं पगाम] परिमाएउंतं अनुहोह ताव जाया विपुले माणुस्सए इड्ढीसक्कारसमुदए किं मे सपघादाएणं निरालंबणेणं लवणसमुद्दोत्तारेणं एवं खलुं पुत्ता दुवालसमी जता सोबसग्गा यावि भवइ तं मा णं तुब्मे दुवे पुत्ता दुवालसंपि लवण [समुदं पोयवहणेणं] ओगाहेह मा हु तुब्धं सरीरस्स वावत्ती भविस्सइ तए णं ते मागंदिय-दारगा
अम्मापियरो दोच्चंपि तपि एवं दयासी-एवं खलु अम्हे अम्मयाओ एक्कारसवाराओ लवण [समुदं पोयवहणेणं ओगाढा] सब्बत्य वि य णं लट्ठा कयकज्जा अणहसमागा पुणरवि निवघरं
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