Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 108
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुपक्षपो-१, अन्नपणं-१२ संचिट्ठइ तए णं से जियसत्तू राया अण्णया कयाइ हाए आसखंधवरगए महयाभडचडगर-आसबाहिणिआए निज्जायमाणे तस्स फरिहोदयस्स अदूरसामंतेणं बीईययइ तए णं जियसत्तू राया तस्स फरिहोदगस्स असुभेणं गंधेणं अभिभूए समाणे सएणं उत्तरिजगेणं आसगं पिहेइ पिहेत्ता एगंतं अवककमइ अवककमित्ता बहये ईसर जाव सत्ययाहपभियओ एवं ययासी अहो णं देवाणुप्पिया इमे फरिहोदए अमणुष्णे वण्णेणं अमणुण्णे गंधेणं अमणुण्णे रप्तेणं अमणुण्णे फासेणं से जहानामए-अहिपडे इ वा जाव अमणामतराए चेव गंधेणं पन्नते तए णं ते बहवे ईसर जाव सत्यवाहभियओ एवं वयासी-तहेवणं तं सामी जंणं तुझे वयह-अहो णं इमे फरिहोदए अमणुणे वण्णेणं अमणुष्णे गंधेणं अपणुण्णे रसेणं अमणुण्णे फासेणं से जहानापए-अहिमडे इ वा जाव अमणामतराए चेव गंधेणं पन्नत्ते तए णं से जियसतूं राया सुबुद्धि अमञ्चं एवं बयासी-अहो णं सुबुद्धी इमे फरिदोहए अपणुण्णे वण्णेणं अपणुण्णे गंधणं अमणुण्णे रसेणं अमणुण्णे फासेणं से जहानापए-अहिमडे इ वा जाव अमणामतराए चेव गंधेणं पन्नते तए णं से सुबुद्धी अमच्चे [जियसत्तुस्स रण्णो एयभट्ट नो आढाइ नो परियाणाइ! तुसिणीए संचिठ्ठइ तए णं से जियसत्तू राया सुबुद्धि अमचं दोचपि तचंपि एवं वयासी-अहो णं [सुबुद्धी इमे फरिहोदए अमणुष्मे वण्णेणं अपणुण्णे गंधेणं अमणुण्णे रसेणं अमणुण्णे फासणं से जहानामए-अहिमडे इ वा जाव अमणामतराए चेव गंधेणं पन्नत्ते) ___तए णं से सुवुद्धी अमन्चे जियसत्तुणा रण्णा दोच्चंपि तचंपि एवं वुत्ते समाणे एवं वयासी-नो खलु सामी अम्हं एयसि फरिहोदगहंसि केइ विम्हए एवं खलु सामी सुन्भिसद्दा वि पोग्गला दुभिसद्दत्ताए परिणति (दुब्बिसद्दा वि पोग्गला सुन्भिसद्दत्ताए परिणति सुभिगंधा वि पोग्गला दुब्धिगंधताए परिणति दुब्धिगंधा वि पोग्गलासुभिगंधत्ताए परिणमंति सुरसा वि पोग्गला दुरसताए परिणमंति दुरसा वि पोग्गला सुरसत्ताए परिणमंति सुहफासा वि पोग्गला दुहफासत्ताए परिणंमंति दुहफासा वि पोग्गला सुहफासत्ताए परिणमंति] पओग-वीससा-परिणया वि यणं सामी पोग्गला पन्नत्ता तएणं जियसतू राया सुबुद्धि असच्चे एवं वयासी-मा णं तुमं देवाणुप्पिया अप्पाणंच परं च तदुभयं च बहूणि य असदभावुदभावणाहि मिच्छत्ताभिनिवेसेण य बुग्गाहेमापणे वुप्पाएमाणे विहराहि तए णं सुबुद्धिस्स इमेयारूवे अज्झत्यिए चिंतिए पथिए मणोगए संकप्पे सपुष्पञ्जित्थाअहोणं जियसत्तू राया संते तच्चे तहिए अवितहे समूए जिणपत्रत्ते भावे नो उवलभइ त सेयं खलु मम जियसत्तुस्स रण्णो संताणं तच्चाणं तहियाणं अवितहाणं सभूयाणं जिणपत्रत्ताणं भावाणं अभिगमणट्टयाए एयम₹ उवाइणावेत्तए-एवं संपेहेइ संपेहेत्ता पच्चइएहिं पुरिसेहि सद्धि अंतरावणाओ नवए घडए य पइए य गेण्हइ गेण्हित्ता संझाकालसमयंसि विरतपणूसंसि निसंत- पडिनिसंतंसि जेणेच फरिहोदए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तं फरिहोदगं गेण्हावेइ गेण्हावित्ता नवएसु पडएसु गालावेइ गालावेत्ता नवएसु घडएसुपक्खिवायेइ पक्खिवावेत्ता सञ्जयारं पविखवावेइ पकिखवावेत्ता लंछियमुद्दिए कारावेइ कारावेत्ता सत्तरतं परिवसावेइ परिवसावेत्ता दोचंपि नवएस पडएसु गालावेइ गालावेत्ता नवएसु घडएसु पक्खिवावेइ पक्खिवावेत्ता सन्नखारं पक्खिवावेइ पक्खिवावेत्ता लंछिय-मुद्दिए कारावेइ कारावेता सत्तरत्तं परिवसावेइ परिवसावेत्ता तपि नवएसु पडएसु [गालावेइ गालावेत्ता नवएसु घडएसु पकिखवावेइ पक्खिवावेत्ता सज्जखारं पक्खिवायेइ पक्खिवावेता लंछिय-मुद्दिए कारावेइ कारावेत्ता सत्तरतं] संवसायेइ एवं खलु एएणं उवाएणं For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182