Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सुपक्षपो-१, अध्ययणवेउब्बियसमुग्धाएणं सपोहण्णंति समोहणित्ता संघजाई जोयणाई दंडं निप्तिरंति जाव उत्तरदेउबियाई रुवाई विडव्वति विउब्बिता ताए उक्किट्ठाए जाव देवगईए वीईययमाणा-वीईवयमाणा जेणेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे जेणेब मिहिला रायहाणी जेणेव कुंभगस्स रण्णो भवणे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता कुंभगस्स रपणो भवणंसि तिषिण कोडिसया जाव साहरांति साहरिता जेणेव देसमणे देवे तेणेव उवागच्छति उवागछित्ता करयल जाव पच्चप्पिणंति तए णं से वेसपणे देवे जेणेव सक्के देविंदे देवराया तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता करयलपरिग्गहियं जाव तमाणत्तियं पञ्चप्पिणइ
तए णं मल्ली हा कलाकल्लिं जाव भागहओपापरासो त्ति बहणं सणाहाण य अणाहाण य पंथियाण य पहियाण य करोडियाणं य कप्पडियाणं य एगमेगं हिरण्णकोडिं अट्ठय अणूणाई सयसहस्साई इमेयारूवं अत्य-संपयाणं दलयइ तए णं कुंपए राया मिहिलाए रायहाणीए तत्थ-तस्थ तहि-तहिं देसे-देसे वहूओमहाणससालाओकरेइ तत्थणं वहवेमणुया दिण्णभइ-भत्त-वेयणाविउलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडेति जे जहा आगच्छंति तं जहा-पंथिया वा पहिया वा करोडिया वाकप्पडिया वा पासंडत्था वा गिहत्या वा तस्सयतहा आसत्थस्स वीसत्यस्स सुहासण-वरगयस्स ते विउलं असण पाण-खाइप-साइमं परिभाएमाणा परिवेसेमाणा विहरति तएणं मिहि- लाए नयरीए सिंघाडग-जावमहापहपहेसुबहुजणोअण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ-एवं खलु देवाणु-प्पियाकुंभगम्स रण्णो भवणंसि सव्वाकामगुणियं किमिच्छिवं विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं वहूर्ण समणाण य माहणाणय जाव करोडियाणंय कप्पडियाणंय परिभाइजइ परिवेसिजइ।८२-२1-76-2 (९९) वरवरिया योसिजइ किमिच्छियं दिजए बहुविहीयं ।
सुर-असुर देव-दानव-नरिंद-पहियाण निम्खमणे ||११||-1 (१००) तए णं मल्ली अरहा संवच्छरेणं तिणि कोडिसया अट्ठासीइंच कोडीओ असीई सयसहस्साई-इमेयारूवं अस्थ-संपयाणं दलइता निकूखमामि त्ति मणं पहारेइ ।८२1-76
(१०१) तेणं कालेणं तेणं समएणं लोगंतिया देवा बंभलोए कप्पे रिद्वे विमाणपत्थडे सएहिं-सएहि विमाणेहिं सएहि-सएहिं पासायडिंसएहिं पत्तेय-पतेयं चउहि सामाणियसाहस्सीहिं तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्राहिं अणियाहिवईहिं सोलसहिं आयरखदेवसाहस्सीहि अण्णेहि य बहूहिं लोगतिएहिं देवेहिं सद्धिं संपरिबुडा महयाऽहय-नट्ट-गीय-वाइय-[तंती- तलताल-तुडिय-घण-मुइंगपडुप्पवाइय] रवेणं विउलाई भोगमोगाइं मुंजमाणा विहरति ।८३-१77-1 (१०२) सारस्सयमाइचा वण्ही वरुणाय गद्दतोया य । तुसिया अब्वावाहा अग्गिच्या चेव रिद्वाय
॥१२॥1-1 (१०३) तए णं तेसिं लोगंतियाणं देवाणं पत्तेयं-पत्तेवं आसणाई चलंति तहेव जाच तं जीयमेयं लोगतियाणं देवाणं अरहंताणं भगवंताणं निखममाणाणं संबोहणं करितए ति तं गच्छामो णं अम्हे वि मल्लिस्स आहओ संवोहणं करेमो त्ति कट्ट एवं संपेहेति संपेहेत्ता उत्तापुरस्थिपं दिसौभागं अवक्कमंति अवक्कमिता वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहणंति सपोहणित्ता संखेज्जाई जोयणाई दंड निसारंति एवं जहा जंभगा जाव जेणेव मिहिला रायहाणी जेणेव कुंभगस्स रण्णो भवणे जेणेव मल्ली अरहा तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता अंतलिस्ख पडिवण्णा सखिंखिणियाई [दसद्धरणाइ] वत्थाई पवर परिहिया करयल [परिपहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थाए अंचलिं कटु
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