Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सुषक्खंपो-१, अजयणं-८
पासंति-एस णं मल्ली विदेहराय-वरकन्नत्ति कट्ट मल्लीए रायवरकन्नाए रूवे य जोधणे य लावण्णे य पुच्छिया गिद्धा गढिया अज्झोववण्णा अणिमिसाए दिट्ठीए पेहमाणा-पेहमाणा चिट्ठति।
तए णं सा मल्ली विदेहरायवरकन्ना बहाया [कययलिकप्मा कयकोउय मंगला-पायच्छित्ता सव्यालंकारविभूसिया बहूहिं खुजाहिं जाच परिक्खित्ता जेणेय जालघरए जेणेव कणगमई पत्थयछिड्डा पउमुप्पल-पिहाणा-पडिमा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तीसे कणगमईए मत्ययछिड्डाए पउमुप्पल-पीहाणाए पडिमाए मत्थयाओ तं पउमुप्पल-पिहाणं अवणेइ तओ णं गंधे निद्धावेइ से जहाणामए-अहिपडे इ वा जाव इएतो असुभतराए चेय तए णं कते जियसत्तुपामोक्ख छप्पि रायाणो तेणं असुभेणं गंधेणं अभिभूया समाणा सरहिं-सएहिं उत्तरिजेहिं आसाइ पिहेति पिहेत्ता परम्मुहा चिट्ठति तए णं सा मल्ली विदेहरायवरकत्रा ते जियसत्तुपामोक्खे एवं वयासी-किण्णं तुभे देवाणुप्पिया सएहि-सएहिं उत्तरिजेहिं आसाइं पिहेत्ता परम्मुहा चिट्ठह तएणं ते जियसत्तुपामोकखा मल्लिं विदेहरायवरकनं एव कयंति-एवं खलु देवाणुप्पिया अम्हे इसेणं असुभेणं गंधेणं अभिभूया समाणा सएहि-सएहिं उतारिजेहिं आसाइं पिहेत्ता चिट्ठामो तए णं मल्ली विदेहरायवरकन्ना ते जियसत्तुपामोक्खे एवं वयासी-जए ताव देवाणुप्पिया इमीसे कणगं [मईए मत्थयछिड्डाए पुमुष्पलपिहाणाए। पडिमाए कल्लाकल्लिं ताओ मणुण्णाओ असण-पाण-खाइस-साइमाओ एगमेगे पिंडे पक्खिप्पमाणे पविखप्पमाणे इमेयारूवे असभे पोग्गल परिणामे इमस्स पुण ओरालियसरीरस्स खेलासवस्स यंतासवस्स पित्तासवस्स सुक्कासवस्स सोणियपूयासवस्स दुरुय- ऊसास- नीसासम्स दुरुष-मुत्त-पूइय-पुरीस- पुत्रस्स- सडण-पडण-छेयण-विद्धसण-धम्मस्स केरिसए य परिणामे भविस्सइ तं माणं तुब्भे देवाणुप्पिया माणुस्सएसु कामभोगेसु सजह रज्जह गिज्झह मुज्झह अज्झोववजए एवं खलु देवाणुप्पिया अम्हे इमाओ तच्चे पवग्गहणे अवरविदेहवासे सलिलवर्तिसि विजए वीवसोगाए रायहाणीए महब्बल-पामोक्खा सत्तवि य बालववंसया रायाणो होत्या- सहजाया जाव पव्वइया तए णं अहं देवाणुप्पिया इमेणं कारणेणं इत्थीनामगोयं कम्मं निव्वत्तेमि-जइणं तुटभे क्उत्थं उवसंपजित्ता णं विहरह तए णं अहंछट्टे उपसंपत्तिा णं विहरामि सेसं तहेव सव्वं तए णं तुटभे देवाणुप्पिया कालमासे कालं किच्चा जयंति विमाणे उववण्णा तत्थ णं तुभं देसूणाई बत्तीसं सागरोवमाई ठिई तए णं तुझे ताओ देवलोगाओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे जाव साई-साई रजाई उपसंपजित्ता णं विहरइ तए णं अहं ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं जाव दारिवत्ताए पञ्चायाया 1८१-१1-75-1 (९४) किंथ तयं पम्हुई जंथ तया भोजयंतपवरम्मि
वुस्था समय-निबद्धा देवा तं संभरह जाइ (९५) तए णं तेसिं जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं मल्लीए विदेहरायवरकराए अंतिए एयमटुं सोचा निसम्मा सुभेणं परिणामेणं पसत्थेणं अज्झवसाणेणं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं तयावर [णिजाणं कम्माणं खओवसमेणं इहापूह-मागण-गवेसणं करेमाणाणं सण्णिपुचे जाइसरणे समुष्पण्णे एयपटुं सम्मं अभिसमागच्छंति तए णं मल्ली अरहा जियसत्तुपामोक्खे छप्पि रावाणो समुप्पण्णजाईसरणे जाणित्ता गभघराणं दारई विहाडेइ तएणं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो जेणेव मल्ली अरहा तेणेव उवागच्छंति तए णं महब्बलपामोक्खा सत्तवि य बालवयंसा एगयओ अभिसमण्णागया वि होत्था तए णं मल्ली अरहा ते जियसत्तुपामोक्खे छप्पि रायाणो एवं
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