Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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नायापप्मकहाओ - 91-14/९६ ववासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया संसारभउब्बिग्गा जाव पव्वयामि तं तु णं किं करेह किं वयसह किं वा मे हियच्छिए सामत्थे तए णं जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो महिं अरहं एवं वयासी-जइणं तुझे देवाणुप्पिया संसारभउब्विगा जाव पचयह अम्हं णं देवाणुप्पिया के अण्णे आलंबणे वा आहारे वा पडिबंधे वा जह चेवणं देवाणुप्पिया तुझे अम्हंइओ तच्चे भवगहणे बहूसु कजेसु य मेढी पमाणं जाय धम्मधुरा होत्था तए चेवणं देवाणुप्पिया इपिंह पि जाव धम्मधुरा भविप्सह अम्हे वि णं देवाणुप्पिया संसारभउब्बिागा भीया जम्मणमरणाणं देवाणुप्पिया-सद्धि पुंडा भवित्ता [णं अगाराओ अणगारिय) पब्बयामो तएणं मल्ली अरहा ते जियसतुप्पामोक्खे छप्पि रायाणो एवं वयासी-जइणं तुझे संसारभउब्बिग्गा जाव मए सद्धिं पव्ययइ तं गच्छह णं तुओ देवाणुप्पिया सएहि-सएहि जेठ्ठपुत्ते ठावेह ठावेत्ता पुरिससहस्सावहिणीओ सीयाओ दुरुहह मप अंतिय पाउब्मवह तए णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो मल्लिस्स अरहओ एयमट्ठ पडि- सुऐति तए गं मल्ली अरहा ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो गहाय जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता कुंभगस्स पाएसु पाडेइ तए णं कुंभए ते जियसत्तुपामोक्खे विउलेणं असण-पाण-खाइमसाइमेणं पुष्फवत्थ गंध मल्लालंकारेणं सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ तए णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो कुंभएणं रण्णा विसज्जिया समाणा जेणेव साइं-साई रजाई जेणेव साइं-साइं नगराई तेणेच उवागच्छंति उवागच्छिता सगाई-सगाई रजाई उपसंपत्तिा णं विहरंति ते गंमली अरहा संबच्छरावसाणे निक्खमिस्सामितिमणं पहारेइ १८११-75
(९६) तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्कस्स आसणं चलइ तए णं से सक्के देविंदे देवराया आसणं चलियं पासइ पासित्ता ओहिं पउंजइ पउंजित्ता मल्लिं अरहं ओहिणा आभोएइ इमेयावे अज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकपे समुप्पञित्या एवं खलु जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे मिहिलाए नयरीए कुंभगस्स रण्णो धूया पभावईए देवीए अत्तया मल्ली अरहा निक्खमिस्सामित्ति मणं पहारेइ तं जीवपेयं तीय-पचुप्पण्णमणागयाणं सक्काणं अरहंताणं भगवंताणं निक्खममाणाणं इसेयारूवं अत्थसंपयाणंदलइत्तए [तं जहा] 1८२-१1.76-1 (९७) तिण्णेव य कोडिसया अट्ठासीइंच हंति कोडीओ असिइंच सयसहस्सा इंदा दलयंति अरहाणं
१०||-1 (९८) एवं संपेहेइ संपेहेत्ता वेसमणं देवं सद्दावेई सद्दावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे मिहिलाए रायहाणीए कुंभगस्स रपणोधूया पभावईए अत्तया मल्ली अरहा निकखमिस्सामित्ति मणं पहारेइ जाव इंदा दलयंति अरहाणं) तं गच्छह ण देवाणप्पिया जंबुद्दीयं दीवं भारहं वासं मिहिनं रायहाणिं कुंभगस्स रण्णो भवणंसि इमेयारूवं अत्यसंपयाणं साहराहि साहरित्ता खिप्पामेव पम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि तए णं से वेसमणे देये सक्केणं देविंदेणं देवरपणा एवं वुत्ते समाणे हद्वतढे करयल [परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट एवं देवो तहत्ति आणाए विणएणं वयणं] पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता जंभए देवे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-गच्छह णं तु देवाणुप्पिया जंबुद्दीवं दीवं भारहं वासं मिहिलं रायहाणि कुंभगस्स राणो मवणंसि तिण्णि कोडिसया अठासीइंच कोडीओ असीई सयसहस्साइं-इमेयारूवं अस्थ-संपयाणं साहरह साहरित्ता मम एयमाणत्तियं पचप्पिणह तए णं ते जंभगा देवा वेसमणेणं देवेणं एवं युत्ता समाणा जाव पडिसुणेत्ता उत्तरपुरस्थिपं दिसीभागं अवक्कमंति अवक्कमित्ता
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