Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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७४
नायाधप्मकहाओ • 91-14/८७ देवाणुप्पिया [पुन्नेसि णं तुं देवाणुप्पिया कयस्थेसि णं तुम देवाणुणिया कयलखणेसि णं तुम देवाणुप्पिया सुलघे णं तव देवाणुप्पिया माणुस्सए जम्म] जीवियफले जस्स णं तव निग्गंथे पारयणे इमेवारूवा पडिवत्ती लद्धा पत्ता अभिसमण्णागया
एवं खलु देवाणुप्पिया सक्के देविंदे देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसए विमाणे सभाए मुहम्माए बहूणं देवाणं मज्झगए महया महया सद्देणं एवं आइक्खइ एवं भासेइ एवं पनवेइ एवं एलवेइ-एवं खलु देवा जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपाए नयरीए आहण्णए समणोवासए अभिगयजीवाजीचे नो खलु सक्के केणइ देवेण वा दाणवेण वा जखेण वा रक्खसेण वा किन्नरेणं वा किंपुरिसेणं वा महोरगेणं वा गंधव्वेण वा निग्गंथाओ पावणाओ चालित्तए वा खोभितए वा विपरिणामिराए वा तए णं अहं देवाणुप्पिया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो नो एयमढे सद्दहामि पत्तियामि रोएमि ते णं मम इसेयावचे अज्झस्थिए चितिए पथिए मणौगए संकप्पे] समुप्पजिस्थ गच्छामि णं अहं अरहण्णगास अंतियं पाउदभवामि जाणामि ताव अहं अरहण्णगं-कि पियधम्मे नो पियधपे दढधम्मे नो दधम्मे सील-व्वय-गुण-विरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासाई किं चालेइ नो चालेइ खोभेइ नो खोभेइ खंडेइ नो खंडेइ भंजेइ नो भंजेइ उज्झइ नो उज्झइ परिचयइ] नो परिचयइ ति कट्ट एवं संपेहेमि संपेहेत्ता ओहिं पउंजामि पउंजित्ता देगणप्पियं
ओहिणा आभोएमि आभीएता उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवकमामि उत्तरवेऽब्बियं रूवं विउन्चामि विउब्वेित्ता ताए उकिकट्ठाए देवगईए जेणेव लवणसमुद्दे जेणेच देवाणुप्पिए तेणेव उवागच्छामि उवागछित्ता देवाणुपियस्स उवसग्गं करेमि नो चेव णं देवाणुप्पिया भीए [तत्थे चलिए संभंते आउले उद्विग्गे भिण्णमुहराग-नयणवणे दीणचिमणमाणसे जाए| तं जं णं सक्के देविंदे देवराचा एवं वयइ सच्चे णं एसमढे तं दिट्टे णं देवाणुप्पियस्स इड्ढी [जुई जसा बलं विरीयं पुरिसकार]-परक्कमे लद्धे पते अभिसमण्णागए तं खामि णं देवाणुप्पिया खमेसुणं देवाणुप्पिया पंजलिउडे पायडिए एयमट्ट विणएणं भुजो-भुञ्जो खामेइ अरहण्णगस्स य दुवे कुंडलजुये दलयइ दलइत्ता जामेव दिसि पाउटभूए तामेव दिसिं पडिगए।७५/-69
(८८) तएणं से अरहण्णए निरुवसग्गमिति कट्टपडिमंपारेइ तएणं ते अरहन्नगपामोखा संजत्ता-नावा] वाणियगा दक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव गंभीरए पोचट्ठाणे तेणेव उवागच्छंति उवाग्च्छित्ता पोयं लंबेति लंबेत्ता सगडि-सागडं सति तं गणिमं धरिमं मेजें परिच्छेनं च सगडिसागडं संकाति संकामेत्ता सगडि-सागडं जोविति जोवित्ता जेणेव मिहिला तेणेव उवागछति उवागछित्ता मिहिलाए रायहाणीए बहिया अगुजाणंसि सगडि-सागडं मोएंति पोएंत्ता महत्यं महरिहं विउलं रायरिहं पाहुडं दिव्वं कुंडलजुलं च गेण्हंति गेण्हित्ता मिहिलाए रायहाणीए अनुप्पविसंति अनुप्पविसित्ता जेणेव कुंभए राया तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता करयल [परिग्गहिवं सिरसावत्तं मस्यए अंजलि कट्ट] महत्थं मिहाधं महरिहं विउलं रायारिहं पाहुडं| दिव्वं कुंडलजुयलं च उवणेति तए णं कुंभए राया तेसि संजत्ता [नावावाणियगाणं तं महत्थं जाय कुंडलजुयलं च पडिच्छइ पडिछित्ता मल्लेि विदेहवररायकन्नं सद्दावेइ सद्दावेत्ता तं दिव्यं कुंडलजुयलं मल्लीए विदेह रायकत्रगाए पिणद्धेइ पिणद्वेत्ता पडिविसज्जेइ तए णं से कुंभए राया ते अरहन्नगपामोक्खे (संजता-नावा-याणियगे विपुलेणं वत्थ-गंध-[मल्लालंकारेणं य सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता) उस्सुकूकं वियरइ वियरित्ता रायमग्गमोगाढे य आवासे वियरइ वियरित्ता
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