Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 76
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुपखंयो-१, अनापणं-८ ॥४||-1 समुप्पज्जित्था-जण्णं अम्हे देवाणुप्पिया एगे तवोकम्मं उवसंपनित्ताणं विहरइ तणं अहेहिं सव्वेहिं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए त्ति कटु अण्णमण्मस्स एयमद्रं पडिमुणेति पडिसुणेत्ता बहूहिं चउत्थं-जाव विहरंति तए णं से महज्यले अणगारे इमेणं कारणेमं इत्थिनामगोचं कर्म निव्वतिसु-जइणं ते महव्यलवजा छ अणगारा चउत्थं उवसंपत्तिा णं विहांति तओ से महय्बले अणगारे छई उवसंपनिता णं विहरइ जइ णं ते महब्बलवजा छ अणगारा अदु उवसंपत्तिा णं विहरति तओ से महब्बले अणगारे अट्ठमं उवसंपत्तिा णं विहरइ एवं-अह अट्ठमं तो दसमं अह दसमं तो दुवालसमं इहि व णं वीसाए णं कारणेहिं आसेविय-वहुलीकएहिं तित्थयरनामगोयं कम्मं निव्वत्तिंसु [तं जहा]- 150-964-1 (७७) अरहंत-सिद्ध-पवयण-गुरु-थेर-बहुस्सुव-तवस्सीसु वच्छल्लया य तेसि अभिक्ख नाणोवओगे य (७८) दसण-विणए आवस्सए व सीलब्वए निरइयारो खणलवतवच्चियाए वेयावच्चे समाहीए ॥५||-2 (७९) अपुब्बनापगहणे सुवभत्ती पश्यण-पहावणया एएहि कारणेहि तित्थयरत्तं लहइ सो उ |६||-3 (८०) तए ण ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा मासियं भिक्खुपडिमं स्वसंपचित्ता णं विहरति जाव एगराइयं तए णं ते महव्यलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहनिक्कीलियं तवोकम उपसंपाजता णं विहरति तं जहा- चउत्थं कति सव्वकामगाणवं पारेति प्रष्टुं करेंति चउत्यं करेति, अट्ठमं करेति छटुं करेंति दसमं करेति अट्ठमं करति, दुवालसं करति दसमं करेति चोदसम कति दुबालसमं करेति, सोलसम कति चोइसमं करेति अट्ठारसमं करेंति सोलसम करोति, वीसइमं करोति सोलसमं करेंति अट्ठारसमं करेंति चोइसमं करेंति, सोलसमं करोति दुबालसमं कति चोद्दसमं करोते दसमं करेंति, दुवालसमं करेंति अटुं करेंति दसमं करेंति छट्ठ काति, अनुमं करेति चरत्थं करेति छठं करेंति चउत्थं करेंति, करेता सव्वस्थ सबक्रामणिएणं पारेति एवं खलु एसा खुड्डागसीहनिककीलियरस तवीकम्मरस पढमा परिवाड़ी छहिं मासेहिं सत्तहिंब अहोरतेहिं अहासुत्तं जाव आराहिया भवइ तयाणंतरं दोच्चाए परिवाडीए चरत्यं करोति नवरं-विगइवाइ पारेति एवं तच्चा वि परिवाडीनवरं-पारणए अलेवार्ड पारेंति एवं चउत्था वि परिराडी नवरंपारणए आयविलेणं पारेति तए णं ते महब्बलपामोक्वा सत्त अणगारा खुड्डागं सीह निक्कीलियं तवोकम्पं दोहि संवछरेहिं अट्ठवीसाए अहोरत्तेहिं अहासुतं जाव आणाए आराहेत्ता जेणेव थेरे भगवंते तेणेव उवागच्छति उवागछित्ता धेरे भगवंते वंदति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयसी-इच्छामोणं भंते महालयं सीहनिककीलियं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता विहरित्तए तहेव जहा खुडागं नवरं-चोत्तीसइमाओ नियत्ताइ एगाए परिवाडीए कालो एगेणं संवच्छरेणं छहि मासेहि अठारसहि य अहोरत्तेहिं समप्पेइ सव्वंपि महालयं सीहनिक्कीलियं छहिं बासेहिं दोहि मासहि वारसहिं घ अहोरतेहिं समप्पेइ तए भं ते महव्यलपामोक्खा सत्त अणगारा महालयं सीहनिक्कीलियं अहासुत्तं जाब आराहित्ता जेणेव थेरे भगवंते तेणेव उवागच्छंति उवागच्छिता थेरे भगवंते वदति नमसति वंदित्ता नमंसित्ता बहूणि चउत्थ जाव विहरंति तए णं ते महब्वलामोक्खा सत्त अणगारा तेणं उरालेणं तचोकम्मेणं सुक्का भुक्खा निम्मंसा किडिकिडिया For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182