Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 77
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नायापप्पकहाओ - 9/14/49 भूया अविचम्मावणद्धा किसा धमणिसंतया जाया या वि होस्था जहा खंदओ नवरं -थेपे आपुच्छित्ता चारुपब्बयं सणियं-सणियं दुरुहंति जाव दोमासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसेत्ता सवीसं भत्तसयं अणसणाए छेएता चतुरासीई वाससयसहस्साई सामण्णपरियागं पाउणिता चुलसीइं पुव्वसयसहस्साइं सव्याउयं पालइत्ता जयंते विमाणे देयत्ताए उववण्णा 10064 (८१) तत्य णं अत्येगइयाणं देवाणं बत्तीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता तत्य णं महबलवजाणं छहं देवाणं देसूणाई बत्तीसं सागरोवमाइं ठिई महब्बलस्स देवस्स य पडिपुण्णाइं बत्तीसं सागरोवपाई ठिई तए णं ते महब्बलवजा छप्पि देवा जयंताओ देवलोगाओ आउक्खएणं मवक्खएणं ठितिक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे मारहे वासे विसुद्धपिइमाइवंसेसु रायकुलेसु पत्तेयं-पत्तेयं कुमारत्ताए पन्नायाया तं जहा-पडिबुद्धी इक्खागराया चंदच्छाए अंगराया संखे कासिराया रुप्पी कुणालाहिवई अदीणसत्तूंकुरुराया जियसत्तू पंचलाहिवई तएणं से महब्बले देवे तिहिं नाणेहिं समग्गे उच्चाट्ठाणगएसु गहेसुं सोमासु दिसासु वितिमिरासु विसुद्धासु जइएसु सजणेसु पयाहिणाणुकूलंसि भूमिसप्पंसि मारुवंसि पवायंसि निष्फण्ण-सस्स-मेइणीयसि कालंसि पमुइयपक्कीलिए जणवएतु अद्धरत्तकालसमचंसि अस्सिणीनक्खत्तेणं जोगमुवागएणं जे से हेमंताणं चउत्थे मासे अट्टपे परखे तस्स णं फग्गुणसुद्धस्स चउत्थीपक्खेणं जयंताओ विमाणाओ बत्तीसं सागरोक्मविइयाओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीये दीवे भारहे वासे मिहिलाए रायहाणीए कुंभस्स रण्णों पभावतीए देवीए कुच्छिसि आहारवकूकंतीए भवकूकंतीए सरीवककंतीए गमत्ताए वकंतेज रयणि चणं महव्वले देवे पभावतीए देवीए कचिंसि गठभत्ताए वकृकते तं स्यणिं च णं सा पभावती देवी चोद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा] भत्तार-कहणं सुमिणपाढगपुच्छा जाव [विपुलाई भोगभोगाई भुंजमाणी] विहरइ तए णं तीसे पभावईए देवीए तिण्हं मासाणं बहुपडिपुत्राणं इमेयारूवे डोहले पाउटभूएधण्णाओणं ताओ अम्मयाओ जाओ णं जल-थलय-भासरप्पभूएणं दसवण्णेणं मल्लेणं अत्युयपन्चत्युयसि सयणिजंसि सण्णिसण्णाओ निव्वण्णाओ य विहरंति एगं च महं सिरिदामगंडं पाडलमलियचंपग- असोग-पुत्राग-नाग-मरुयग-दमणग-अणोजकोजय-पटरं परमसुहफासं दरिसणिणं महया गंधद्धणिं मुयंतं अघायमाणीओ डोहलं विणेति तए णं तीसे पभावईए इमं एयारूवं डोहलं पाउदभूयं पासित्ता अहासण्णिहिया वाणमंतरा देवा खिप्पामेव जल-थलय-[भासरप्पभूयं दसद्धवणं] मलं कुंभागप्तो य भारगसो य कुंभस्स रण्णो भवणंसि साहरंति एगं च णं महं सिरिदामगडे जाव गंधद्धणिं मुयंतं उवणेति तए णं सा पभावई देवी जल-थलय-जाव मल्लेणं दोहलं विणेइ तए णं :: पभावई देवी पसस्थदोहला सम्माणियदोहला विणीयदोहला संपुण्णदोहला संपत्तदोहला विउलाई माणुस्सगाई भोगभोगाई पचणुभवमाणी] विहरइ तए णं सा पभावई देवी नवण्डं मासाणं वहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण य राइंदियाणं वीइक्कंताणं जे से हेमंताणं पढमे मासे दोच्चे पक्खे मगतिरसुद्धे तप्स णं एककारसीए पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अस्सिणीनखत्तेणं जोगमुवागएणं उच्चट्ठाणगएसु गहेसु जाव पमुइय-पक्कीलिए जणवएसुआरोयरोपं एगूणवीसइमंतित्थयां पयाया।91-65 (८२) तेणं कालेणं तेणं सपएणं अहेलोगवस्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहयरियाओ जहा जंबुद्दीवपन्नत्तीए जप्मणुस्सवं नवरं-मिहिलाए कुंभस्स पभावईए अभिलाओ संजोएयव्यो जाव For Private And Personal Use Only

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