Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 53
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नायाधम्मकहाओ - १/३/५९ पडिसुणेत्ता सए सए दासचेडए सद्दावति सद्दावेत्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुटभे देवाणुप्पिवा इमे अंडए गहाय सगणं जातिमंताणं कुक्कुडीणं अंडएस पक्खिवए जाव ते विपक्खियति तए ण ते सत्यवाहदारगा देवदत्ताए गणियाए सद्धि सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उजाणसिरिं पचणुदभवमाणा विहरित्ता तमेव जाणं दुलढा समाणा जेणेव चंपा नयरी जेणेव देवदत्ताए गणियाए गिहे तेणेब उवागच्छति उवागच्छित्ता देवदत्ताए गिहं अनुप्पविसंति अनुष्पविसित्ता देवदत्ताए गणियाए विउलं जीविवारिहं पीइदाणं दलयंति दलइत्ता सककारेति सम्माणेति सकारेत्ता सम्माणेत्ता देवदताए गिहाओ पडिणिस्खमंति पडिणिस्खमित्ता जेणेव सलाइ साइं गिहाई तेणेव उवागच्छंति उवागचित्ता सकमसंपउत्ता जाया यावि होस्था ।५४|-48 (६०) तत्य णं जे से सागरदत्तपुत्ते सस्थयाहदारए से णं कालं [पाउप्पमायाए रयणीए जाय उद्वियमि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणवरे तेयसा जलते जेणेव से वणमचूरी अंडए तेणेव उवा- गच्छइ उवागछित्ता तसि मयूरी-अंडयंसी संकिए कखिए वितिगिंछसमावण्णे भेयसमावणे कलुससमावण्णे किण्णं सम एस्थ कीलावणए मयूरी-पोयए भविस्सइ उदाहु नो भविस्सइ ति कट्टतं मयूरी-अंडवं अभिक्खणं-अभिक्खणं उव्यत्तेइ परियत्तेइ आसारेई संसारेइ चालेड फंदेइ घट्टेइ खोभेइ अपिम्खणं-अभिक्खणं कण्णम्लंसि टिट्टियावेइ तए णं से मयूरी-अंड अभिक्खणां- अभिकखणं उबत्तिज्जमाणे [परिवत्तिजमाणे आसारिजमाणे संसारिजमाणे चालिजमाणे फंदिञ्जमाणे घट्टिजमाणे खोभित्रमाणे अभिक्षण-अभिक्खणं कण्णमूलंसि टिट्टियावेजमाणे पोसड़े जाए यावि होत्था ते णं से सागरदत्तपुत्ते सत्तवाहदारए अण्णया कयाई जेणेव से मयूरी-अंडए तेणेव उवागच्छइ उवागछइ तं मयूरी-अंडयं पोबडमेव पासइ अहो णं ममं एस्थ कीलावणए मयूरीपोयए न जाए ति कट्ट ओहयमण संकप्पे करतलपल्हत्यमुहे अज्झाणीवगए झियाइ एवामेव सपणाउसो जो अहं निग्गंथो वा निग्गंधी वा आयरिय-उवज्झायागं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए समाणे पंचमहव्वएसु छजीवनिकाएसु निगंथे पाववणे संकिए कंखिए वितिगिछसमावण्णे भेयसमावण्णे कलुससमावणे से णं इहभवे चेव यहूणं समणाणं वहूणं समणीणं बहूणं सावगाणं बहूणं सावियाण य हीलणिजे निंदणिज्जे खिसणिग्ने गरहणिजे परिभवणिज्जे परलोए वि य णं आगच्छइ बहूणि दंडणाणिय बहूणि मुंडणाणि य बहूणि तजणाणि यवहूणि तालणाणि य बहूणि अंबंधणाणि य बहूणि घोलपाणि य बहूणि माइमरणाणि य बहूणि पिइमरणाणि य बहूणि भाइमरणाणि य बहूणि भगिणीमरणाणि य बहूणि भज्जापरणाणि य बहूणि पुत्तमरणाणि य बहूणि धूवमरणाणि य बहूणि सुण्हामरणाणि य बहूणं दारिदाणं बहूणं दोहग्गाणं बहूणं अप्पियसंवासाणं बहूणं पियविप्पओगाणं बहूणं दुक्ख-दोमणस्साणं आभागी भविस्सति अणादियं चणं अणवयागंदीहमद्धं चाउरतं संसारकंतारं मुञ्जो-भुजो अनुपरियहिस्सइ ।५५/-49 (६१) तए णं से जिणदत्तपुत्ते जेणेव से मयूरी-अंडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तसि मयूरी-अंडयंसि निस्संकिए निखिए निव्यितिगिछे सुव्वत्तए णं मम एत्थ कोलावणए मयूरी-पोयए भविस्सइ त्ति कटुतं मयूरी-अंडयं अभिक्खणं-अभिक्खणं नो उच्चत्तेइ |नो परियत्तेड नो आसारेइ नो संसारेइ नो चालेइ नो फंदेइ नो घट्टेइ नो खोभेइ अभिक्खण-अभिक्खणं कण्णमूलंसि] नो टिट्टियावेइ तए णं से मयूरी-अंडए अनुबत्तिज्जमाणे जाव अटिट्टियाविञ्जमाणे कालेणं समएणं उभिने मयूरी-पोयए एत्थ जाए तए णं से जिणदत्तपुत्ते तं मयूरी-पोयचं पासइ For Private And Personal Use Only

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