Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 61
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नायापप्पकहाओ - 9/-/५/६५ तएणं अरहा अरिष्टनेमि थावच्चापुत्तस्स अणगारस्स तं इमाइयं अपगारसहस्सं सीसत्ताए दलयइ तएणं से थावच्चापुत्ते अण्णया कयाई अरहं अरिट्टनेमि वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं चयासीइच्छामि णं भंते तुभेहिं अटमणुण्णाए समाणे अहासुहं तए णं से थावच्चापुत्ते अणगारसहस्सेणं सद्धिं बहिया जणवयविहारं विहरइ.६०1-54 (१६) तेणं कालेणं तेणं समएणं सेलगुरे नामं नगरे होत्था सुभूमिमागे उजाणे सेलए राया पउमावई देवी मंडुए कुमारे जुबराया तस्स णं सेलगस्स पंधगपामोस्खा पंच प्रतिसया होत्थाउप्पत्तियाए देणइयाए कम्पियाए पारिणामियाए उववेया रजधुरं चिंतयंति थावच्चापुत्ते सेलगपुरे समोसढे राया निग्गए तए णं से सेलए राया थावच्चापुत्तस्स अणगाररस अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म हठ्ठतुट्ठ-जाव हियए उद्वेइ उठूता थावच्चापुत्तं अणगारं तिकखुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ जाव एवं वयासी- सद्दहामि णं भंते निग्गंथं पावयणं पत्तियामि णं भंते निग्गंथं पायणं रोएमि णं भंते निग्गंथं पावयणं अद्वेमि णं भंते निगंथं पावयणं एवमेयं भंते तहमेयं भंते अवितहमेयं भंते असंदिद्धमेयं भंते इच्छियमेयं मंते पडिच्छमेयं भंते इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते जंणं तुष्भे वदह त्ति कट्ट जाव एवं वयासी-जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे उगा उगपुत्ता भोगा जाव इब्भा इब्मपुता चिच्चा हिरण्णं एवं-धणं धन्नं बलं वाहणं कोसं कोट्ठागारं परं अंतररं चिच्चा विउलं धण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संख-सिल-प्पावाल-संतसार-सावएनं विच्छडिइत्ता विगोवइत्ता दाणं दाइवाणं परिभाइत्ता मुंडा भवित्ता णं आगाराओ अणगारिय पव्वइया तहा णं अहं नो संचाएमि] जाव पज्यइत्तए अहं णं देवाणुप्पियाणं अंतिए चाउञ्जामियं गिहिधम्म पडिवञ्जिस्सामि अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंध करेहि तए णं से सेलए राया थावच्चापुत्तस्स अणगारस्स अंतिए चाउनामियं गिहिधम्मं ज्वसंपनइ तए णं से लए राया समणोवासए जाए-अभिगयजीवाजीवे उक्लद्धपुत्रपावे आसव-संवरनिजर-किरिया-अहिंगरण-बंधमोक्ख-कुसले असहेजे देवासुरनागजख-रखस-किण्णर-किंपुरिस-गरुल-गंधब्ब- महोर- गाइएहिं देवगणेहिं निग्गंधाओ पावयणाओ अपाइककमणिजे निगांथे पावयणं निस्संकिए निककंखिए निव्वितिपिच्छे लद्धढे गहियटे पुच्छियट्टे अभिगयढे विणिच्छयट्टे अहिमिंजपे-माणुरागरते अयमाउसो निगथे पावयणं अढे अयं परमट्टे सेसे अणडे ऊसियफलिहे अवंगुयदुवारे चित्तंतेउर-परधरदार-प्पवेसे चाउद्दसट्टमुद्दिपुन्नमासिणीसु पडिपुन्नं पोसहं सम्मं अनुपालेमाणे समणे नियंथे फासु-एसणिजेणं असण- पाणखाइम-साइमेगं वत्य-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं ओसहमेसजेणं पाडिहारिएणं य पीढफलगरोज्जा-संथारएणं पडिलामेमाणे सीलब्बय-गुण- वेर- मण-पच्चक्खाणं-पोसहोवबासेहिं अहापरिगहिएहिं तवोकम्मेहिं] अप्पाणं भावमाणे विहाइपंथग- पामोक्खा पंच मंति-सया समणोवासया जाया थावच्चापुत्ते बहिया जणवयविहारं विहरई।६१-१1-81-1 (६७) तेणं कालेणं तेणं सपएणं सोगंधिया नामं नयरी होत्था-वण्णओ नीलासेहए उजाणेवण्णो तत्थ णं सोगंधियाए नयरीए सुदंसणे नामं नयरसेट्ठी परिवसइ अड्ढे जाव अपरिभूए तेणं कालेप तेणं समएणं सुए नामं परिव्वाचए होत्या-रिउव्वेय-जजुब्वेय-सामवेय-अथव्यणवेय-सद्धि तंतकुसलेसंखसमए लट्टे पंचजम-पंचनियमजुत्तं सोयमूलयं दसप्पयारं परिव्वायगधमंदाणधम्म र मोयधम्मंच तित्थानिसयं च आययेमाणे पत्रवेमाणे धाउरत्त-यस्थ-पयर-परिहिए तिदंड-कुंडियछत्त-उन्नालय-अंकुस-पवित्तय केसरि-हत्थगए परिव्वायगसहस्सेणं सद्धि संपरिवुडे जेणेव सोगं For Private And Personal Use Only

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