Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सुपखंघो-१, अजययणं-५ सीयाओ पचोरूहइ तए णं से कण्हे वासुदेवे घावच्चापुत्तं पुरओ काउं जेणेव आहा अरिट्ठनेमि तेणेव उवागच्छंति उवागच्छिता अरहं अरिट्टनेमि तिखुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करोति जाव एवं ययासी-एस णं देवाणुप्पिया घावच्चापुत्ते थावधाए गाहावइणीए एगे पुत्ते इडे कंते जाव दुलहे सवणवाए किमंग पुण दरिसणयाए से जहानामए उप्पले ति वा जाव जले संवढिए नोवलिप्पड़ पंकरएणं नोवलिप्पड़ जलरएणं एवामेव थावधापुत्ते कामेसु जाए भोगेसु संवढिए नोदलिप्पइ कामरएणं नोवलिप्पइ भोगराएणं एस णं देवाणुप्पिया संसारभउबिगे भीए जम्पण-जर-मरणाणं इच्छइ देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भक्त्तिा पब्बइत्तए अम्हे णं देवाणुप्पियाणं सिस्सभिक्खं दलयामो पडिच्छंतुणं देवाणुप्पिया सिम्सभिक्खं तएणं अरहा अरिट्टनेमि कण्हेणं वासुदेवणं एवं युत्ते समाणे एयम१ सम्मंपडिणेई
तए णं से थावधापुते अरहओ अरिट्टनेमिस्स अंतियाओ उत्तरपुरस्थिमं दिसीभायं अबकमइ सयमेव आभरणमल्लालंकारं औमुयइ तए णं सा थावचा गाहावइणी हंसलक्षणेणं पडसाइएएणं आभरण-मल्लालंकारं पडिच्छइ हार-वारिधार-सिंदुवापर-छिन्नमुत्तावलि-प्पगासाई अंसूणि विणिमयमाणी-विणिम्मयमाणी | रोबमाणी-रोयमाणी कंदमाणी-कंदमाणी बिलबमाणी विलवमाणी] एवं वयासी जइयव्वं जाया घडियव्वं जाया परक्कमियव्वं जाया अस्सि च णं अद्वे नो पमाएपच्चं [अहंपिणं एसेब सगे भवउ ति कट्ट थावच्चा गाहावइणी अरहं रिट्ठनेमि वंदति नमंसति चंदिता नमसित्ता जामेव दिसि पाउटभूया तामेव दिसिं पडिगया तए णं से यावच्चापुते पुरिससहस्सेणं सद्धिं सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ करेत्ता जेणामेव अरहा अरिष्टनेमि तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अरहं अरिष्टनेमि तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेत्ता बंदइ नमसइ जाव पव्यइए तए णं से थाबच्चापुते अणगारे जाए-इरियासमिए मासासमिए जाव उधारपासवण-खेल-सिंधाण-जल-पारिवावणियासमिए मणसमिए वइसमिए कायसमिए पणगुत्ते वइगुत्ते कायपुरो गुतं गुत्तिदिए गुत्तवंभयारी अकोहे जाव अलोहे संते पसंते उवसंते परिनिव्वुई अणासवे अममे अविणे निरुवलेबे कंसपाईव मुक्कतोए संखो इव निरंगणे जीवो विव अप्पडिहयगई गगणमिव निरालंबणे वायुरिर अप्पडिबद्धे सारयसलिलं व सुद्धहियए पुक्खरपत्तं पिव निरुवलेवे कुम्मो इव गुत्तिदिए खग्गविसाणं व एगजाए विहग इव विप्पमुक्के मारंडपक्खीव अप्पमत्ते कुंजरो इव सोंडीरे वसभो इव जायस्थामे सीहो इव दुद्धारसे मंदरो इव निप्पकंपे सादगरो इव गंभीरे चंदो इव सोमलेस्से सूरो इवे दिततेए जन्नकंचणं व जायरूवे वसुंधरव्व सव्वफासविसहे सुहयहुयासणोब्ब तेपसा जलते नत्यि णं तस्स भगवंतस्स कत्थइ पडिबंधे भवइ सेचं पडिबंधे चबिहे पत्रत्ते तं जहा-दव्यओ खेत्तओ कालओ भावओ दव्यओ-सञ्चित्ताचित्तमीसेसु खेत्तओगामे वा नगरे वा रण्णे वा खले वा घरे वा अंगणे वा कालओ-समए वा आवलियाए वा आणापाणुए वा थोरे वा लवे वा मुहत्ते वा अहोरते वा पक्खे वा मासे वा अयणे वा संबच्छरे वा अप्रणयरे वा दीहकालसंजए भावओ-कोहे वा जाव लोहे वा भए वा हासे वा एवं तस्स न भवइ से णं पगवं बासीचंदणकप्पे समतिणमणि लेदुकंचणे समसुहदुस्खे इहलोग-परलोग-अप्पडिबद्धे जिवियमरण-निरवकंखे संसारपारगामी कम्मनिग्धायणट्ठाए एवं च णं, विहरइ तए णं से यावच्चापुत्ते अरहओ अरिट्ठ- नेमिस्स तहास्वाणं घेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई चोद्दसपुव्बाई अहिजइ अहिजित्ता बहूहिं वउत्स्थ-छट्टम-दसम-दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं अप्पाणं भावेमाणे] विहरइ
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