Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
५४
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
नायाथम्पकहाओ - १/-/५/६६
अदिन्नादाणाओ बेरमणं सव्वाओ बहिद्धादाणाओ देरमणं जाव तए णं से सुदंसणे समणोबासए जाए - अभिगयजीवाजीवे जाव समणे निग्गंधे फासु-एसणिज्रेणं असण- पाण-खाइम- साइमेणं वत्थडिग्गह- कंबल - पायपुंछणेणं ओसह-पेसज्जेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेज्जा-संधारएणं] पडिलाभेमाणे विहरइ तए णं तस्स सुयस्त परिव्वायगस्स इमीसे कहाए लद्धस्स समाणस्स अयमेयारूवे [अज्झलिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे] समुप्पज्जित्था एवं खलु सुदंसणेणं सोयधम्मं विप्पजहाय विणयमूले धम्मे पडिवण्णे तं सेयं खलु मम सुदंसणस्स दिडिं वामेत्तए पुणरवि सोयमूलए धम्मे आघवित्तए त्ति कट्टु एवं संपेहेइ संपेहेत्ता परिव्यायगसहस्सेणं सद्धि जेणेव सोगंधिया नगरी जेणेव परिव्वायगावसह तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता परिव्वायगावसहंसि भंडगनिक्खेवं करेइ करेत्ता धाउरत्त-वत्य-पवर-परिहिए-पविरत्न- परिव्वायगेणं सद्धिं संपरिवुडे परिव्यायगावसहाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता सोगंधियाए नयरीए एज्झमज्झेणं जेणेव सुदंसणस्स गिहे जेणेव सुदंसणे तेणेव उवागच्छ तए णं से सुदंसणे तं सुयं एज्रमाणं पासइ पासित्ता नो अमुट्ठेइ न पच्छुग्गच्छइ नो आढाइ नो वंदइ तुसिणीए संचिट्ठइ तए णं से सुए परिव्वायए सुदंसणं अणमुट्ठियं पासित्ता एवं वयासी तुमं णं सुदंसणा अण्णाया ममं एज्जामाणं पासित्ता एवं वयासीतुमं णं सुदंसणा अण्णचा ममं एजमाणं पासित्ता अब्भुसि [पचुग्गच्छसि आढासि] वंदसि इयाणि सुदंसणा तुमं ममं एजमाणं पासित्ता नो अमुट्ठेसि [नो पघुग्गच्छसि नो आढासि] बंदसि तं कस्स णं तु सुदंसणा इमेयावे विणयमूले धम्मे पडिवण्णे तए णं से सुदसंणे सुएणं परिव्वायगेणं एवं दुत्ते समाणे आसणाओ अब्इ अभुट्टेत्ता करयल [ परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु सुर्य परिव्वायगं एवं बयासी एवं खलु देवाणुपिया अरहओ अरिनेमिस्स अंतेवासी थावच्चापुते नामं अणागारे [पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे इहमागए इह चैव नीलासोए उज्जाणे विहरइ तस्स णं अंतिए विणयमूले धम्मे पडिवण्णे तए णं से सुए परिव्वायए सुदंसणं एवं वयासी । तं गच्छामो णं सुदंसणा तव धम्मायरियस्स यावच्चापुत्तस्स अंतियं पाउदभवामो इमाई च णं एयारूबाई अड्डाई हेऊई परिणाई कारणां वागरणाई पुच्छामो तं जइ मे से इमाई अड्डाई हेणाई जाव वागरेइं तओ णं वंदामि नम॑सामि अह मे से इमाई अट्ठांइ [ लेऊई पसिणाई कारणाई वागरणाई | नो वागरेइ तओ णं अहं एएहिं चेव अट्ठेहिं हेउहिं निप्पट्ट - पसिणदा- गरणं करिस्सामि
तए णं से सुए परिव्यायगसहस्सेणं सुदंसणेण य सेङ्किणा सद्धिं जेणेव नीलासोए उज्जाणे जेणेव थावद्यापुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छइ उबागच्छिता थावच्चापुतं एवं वयासी जत्ता ते भंते जयणि ते भंते अव्यवाहं ते भंते फासूयं विहारं ते भंते तए णं से थावच्चापुते अणगारे सुएणं परिव्वायगेणं एवं वृत्ते समाणे सुयं परिव्वायगं एवं वयासी सुया जत्तावि मे जवणिज्जं पि अव्वाबाहं पि मे फासूचं विहारं पि मे तए णं से सुए थावच्चापुत्तं एवं वयासी- किं ते भंते जत्ता, सुया जणं नाण- दंसण- चरित-तव-संजममाइएहिं जोएहिं जयणा से तं जत्ता से किं ते भंते जबणिज्जं सुवा जवणिजे दुविहे पन्नत्ते तं जहा- इंदियजवणिजे य नोइंदियजवणिज् य से किं तं इंदियजवणिजे सुवा जपणं ममं सोतिंदिय-चक्खिदिय- घाणिदिय-जिटिंभदिय-फासिंदियाइं निरुवहबाई बसे वति से तं इंदियजवणि से किं तं नोइंदियजवणिजे सुया जण्णं मम कोह- माण- माया-लोभा खीणा उबसंता नो उदयंति से तं नोइंद्रियजवणिजे से किं ते भंते अब्याबाहं सुया जण्णं मम वाइयपित्तिय-सिंभिय-सत्रिवाइया विविहा रोगायंका नो उदीरेंति से तं अच्चाबाहं से किं तं भंते फासुनं
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182