Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 70
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुयक्खंघो-१, अज्नयणं-६ सल्लवेरमणेणं अनुपुवेणं अट्टकम्मपगडीओ खवेत्ता गगणतलमुप्पइत्ता उपिं लोयाग-पइट्ठाणा भवंति एवं खलु गोयमा जीवा लहुवत्तं हव्वमागच्छंति एवं खतुं जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्ते छस्स नायज्झयणस्स अयमद्वे पन्नत्ते त्ति बेमि 1६८/-62 • पढमे सूयक्खंचे अजनयजं समत्तं • सत्तमं अज्झयणं- रोहिणी ६ १ (७५) जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं छट्टस्स नायज्झयणस्स अयमट्टेपन्नत्ते सत्तमस्स णं भंते नायज्झयणस्स के अड्डे पन्नत्ते एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम नवरे होत्या सुभूमिभागे उज्जाणे तत्थ णं रायगिहे नयरे धणे नामं सत्यवाहे परिवसइ-अड्ढे जाव अपरिभूए भद्दा मारिया अहीणपंचिंदियसरीरा जाव सुरुवा तस्स णं धणस्स सत्यवाहस्स पुत्ता भद्दाए गारियाए अत्तया चत्तारि सत्यवाहदारगा होत्या तं जहा धणपाले धणदेवे धणगोचे धणरक्खिए तस्स णं धणरस सत्यवाहस्स चउन्हं पुत्ताणं भारियाओ चत्तारि सुम्हाओ होत्या तं जहा - उज्झिया भोगवइया रक्खिया रोहिणिया तए णं तस्स धणस्स सत्यवाहम्स अण्णचा कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेबारूवे जाव समुप्पजित्था एवं खलु अहं रायगिहे नयरे बहूणं ईसर जाब पभितीणं सयस्स य कुटुंबस्स बहू कजेसु य कारणेसु य कोडुंबेसु य मंतेसु य गुज्झेसु य रहस्से व निच्छद बवहारेसु य आपुच्छणिजे पडिपुच्छणिजे मेढी पमाणं आहारे आलंबणे चक्खू मेढीभूत्ते पमाणभूते आहारभूते आलंवणभूते चक्खूभूए सव्वकज्जवड्ढायए तं न नजणं मए गयंसि वा चुयंसि वा मयंसि वा भागसि वा लुग्गंसि वा सडियंसि वा पडियंसि वा विदेसि वा विप्पवयसि ना इमम्स कुटुंबस्प के भत्रे आहारे वा आलंवे वा पडिबंधे वा भविस्सइ तं से खलु मम कल्लं पाउलायाए स्याणीए जाव उट्टियम्भि सूरे सहम्सरस्सिम्मि दियरे तेथमा जलते विपुलं असणं पाणं खाहमं साइमं उवक्खवेत्ता मित्त-नाइ- [नियम- सयण- संबंधि-परिव चन्ह व सुण्हाणं कुलघरवणं आमंतेत्ता तं मित्त- नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियण चउण्ह य सुहाणं कुलपरवरगं विपुलेणं असण-पाण- खाइम- साइमेणं धूव- पुप्फ- वत्थ- गंध- [मल्लालंकारेणं य] सकुकारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्त-नाइ - जाव चउण्ह य सुण्हाणं कुलधरवग्गस्स पुरओ चउण्हं सुण्हाणं परिक्खणट्टयाए पंच-पंच सालिअक्खए दलइत्ता जाणामि ताव का किह वा सारक्खेइ वा संगोवे वा संवड्ढेइ वा एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उद्वियम्पि सुरे सहस्सररिसम्मि दिणचरे तेयसा जलते विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उक्खडावेइ मित्त- जाव चउण् य सुण्हाणं कुलधरवग्गं आमंतेइ तओ पच्छा पहाए मोयणमंडवंसि सुहासणवरगए तेणं मित्त नाइ- {नियग-सयण-संबंधि-परियणेणं | चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गेणं सद्धिं तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं आसादेवमाणे जाव सक्कारेइ सकारेत्ता तस्सेव मित्त- नाइ - जाव चउण् य सुहाणं कुलधरवग्गस्स पुरओ पंच सालिअक्खए गेहइ गण्हित्ता जेड सुहं उज्झियं सद्दावे सहावेत्ता एवं वयासी-तुमं णं पुत्ता मम हत्याओ इमे पंच सालिक्खए गेहाहि अनुपुवेणं सारक्खमाणी संगोवेमाणी विहराहि जया णं अहं पुत्ता तुमं इमे पंच सालिअक्खए जाएजा तया णं तुमं मम इमे पंच सालि अक्खए पडिनिज्झाएञ्जासि ति कट्टु सुहाए हत्थे दलयइ दलइत्ता पडिविसञ्जेइ तए णं सा उज्झिया धणरस तह त्ति एयम पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता धणस्स सत्यवा हस्स For Private And Personal Use Only

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