Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 56
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुपक्वंपो-१, अन्नपणं-४ खिसणिज्जे गरहणिज्जे परिभवणिजे] परलोए वि य णं आगच्छइ-बहणि दंडणाणि |य वहणि मुंडणाणि य बहूणि तज्जणाणि य बहूणि तालणाणि य बहूणि अंदुबंधणाणि य बहूणि धोलणाणि य बहूणि माइपरणाणि य बहूणि पिइमरणाणी ये बहूणि भाइमरणाणि य बहूणि भगिणीपरणाणी य बहूणि भझामरणाणि य वहूणि पुत्तमरणाणि य वहूणि धूयमरणाणि य बहूणि सुण्हामरणाणि य वहूणं दारिदाणं बहूणं दोहागाणं वहूणं अप्पियसंवासाणं यहूणं पियविप्पओगाणं बहूणं दुक्खदोमण-स्साणं आभागी भविस्सति अणादियं च णं अणवयग्गं दीहमद्धं चाउरंत संसारकंतारं भुजो-भुजो] अनुपरियट्टिसस्इ-जहा व से कुम्मए अगुतिंदिए तए णं ते पावसियालगा जेणेव से दोचे कुम्मए तेणेव उवागच्छंति उवागच्छितातं कम्पगं सबओसमंता उव्वत्तेति [परियत्तेति आसारेंति संसारेति चालेंति घटेंति फंदेति खोमेति नहेहिं आलंपंति दंतेहि य अखोडेति नो चेव णं संचाएंति तस्स कुमगप्स सरीरस्स किंचि आयाहं वा वाबाहं वा उप्पाइत्तए छविच्छेयं] वा करेतए तए णं ते पावसिवालगा तं कुम्मगं दोचंपि तचंपि उव्यत्तेति जाव नो चेव मणं संचायंति तस्स कुम्मगस्स सरीरस्स किंचि आवाहं चा चावाहं वा छविच्छेयं वा करेत्तए ताहे संता तंता परितंता निविण्णा सपाणा जामेव दिसं पाउड्भूया तामेव दिसं पडिगया तए णं से कुम्मए ते पावसियालए चिरगए दूरंगए जाणित्ता सणियं-सणिवं गीवं नीणेइ नीणेत्ता दिसावलोयं करेइ करेत्ता जमगसमग चत्तारि वि पाए नीणेइ नीणेत्ता ताए उक्किट्ठा [तुरियाए चवलाए चंडाए सिग्धाए उद्भुयाए जइणाए छेवाए] कुमगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव मयंगतीरहहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता मित्त-नाइ-निवग-सवण-संबंधि-परियणेणं सद्धिं अधिसपण्णागए यावि होत्था एवा- मेव समणाउसो जो अम्हं समणो वा समणी वा आयरिय-उवज्झायाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगा-राओ अणगारियं पव्वइए समाणे पंच च से इंदियाइ गुत्ताई भवंति [से णं इहभवे चेव वहूर्ण समणाणं वहणं समीणं वहूणं सावगाणं वहूणं सावियाण य अवणिजे वंदणिज्जे नमसणिज्जे पूणिज्जे सक्कारणिग्ने सम्भाणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं पञ्जुवासणिज्ने भवइ परलोए वि य णं नो वहूणि हत्यच्छेयणाणि य कण्णच्छेयणाणि व नासाछेयणाणि य एवं हिययउप्पायणाणि य वसणुप्पायगाणि य उल्लंबणाणि य पाविहिइ पुणो अणाइयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाइरंतं संसारकंताएं वीईवइस्सइ-जहा व से कुम्मए गुतिदिए एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं चउत्यस्स नायज्झयणस्स अयपट्टे पत्रत्तेत्ति बेमि।५७)-51 • पढमे सुयक्षये चउत्वं अन्ययणं समत्तं . | पंचमं अज्झयणं-सेलगे] (६३) जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं चउत्यस्स नायज्झयणस्स अयमढे पत्रत्ते पंचमस्सणं भंते नायज्झयणस्स के अढे पन्नत्ते एवं खल जंबू तेणं कालेणं तेणेसमएणं बारवती नामं नयरी होत्था-पाईणपड़ीणायया उदीणदाहिणवित्यिण्णा नवजोयणविस्थिपणा दुवालसजोयणायामा धणवइ-मइ-निम्मिया चामीयर-पवर-पागारा नाणामणि-पंचवण्ण-कविसीसग-सोहिया अलका-पुरि-संकासा पमुइव पीलिया पच्चखं देव-लोगभूया तीसे णं बारवईए नयरीए बहिया उत्तपुरस्थिमे दिसीभाए रेवतगे नामं पब्बए होत्या-तुंगे गगणतलमणुलिहंतसिहरे नाणाविहगुच्छ-गुम्भ-लया-वल्लि-परिगए हंस-मिग-मयूर-कोंच-सारस-चक्कवाय- मरणसाल- कोइलकुलोववेए अणेगतड-कडग-वियर-उज्जर-पवायपब्मारसिहरपउरे अच्छरगण-देवसंघ-चारण- विज्ञा For Private And Personal Use Only


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